
काशीपुर: मंडी समिति में रिश्वतखोरी के मामले ने तूल पकड़ लिया है। मंडी परिषद ने साफ शब्दों में चेतावनी दी है कि मंडी परिषद का कोई भी कर्मचारी अगर भ्रष्टाचार या गड़बड़ी में लिप्त पाया गया तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। हाल ही में काशीपुर मंडी समिति के प्रभारी सचिव को विजिलेंस की टीम ने 1.20 लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया, जिसके बाद पूरे विभाग में हड़कंप मच गया है।
इस मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय जांच कमेटी का गठन किया गया है, जिसे 15 दिन के भीतर रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए गए हैं। मंडी परिषद का कहना है कि जीरो टॉलरेंस की नीति पर चलते हुए किसी भी तरह के भ्रष्टाचार को अब बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। जांच में जो भी व्यक्ति दोषी पाया जाएगा, चाहे वह किसी भी पद पर हो, उसके खिलाफ सख्त विभागीय कार्रवाई की जाएगी।
मंडी परिषद के अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि समय-समय पर मंडियों का औचक निरीक्षण करें और अगर कहीं लापरवाही या अनियमितता पाई जाती है तो तत्काल कार्रवाई करें। इस घटनाक्रम के बाद अब मंडी परिषद पूरी तरह सतर्क हो गई है और भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों और कर्मचारियों पर शिकंजा कसने की तैयारी कर रही है।
गौरतलब है कि गिरफ्तार हुए प्रभारी सचिव ने दो महीने पहले ही यह जिम्मेदारी संभाली थी। इससे पहले वे लगभग 15-20 साल तक अकाउंटेंट के पद पर कार्यरत थे और कुछ ही महीनों बाद रिटायर होने वाले थे। उन्होंने फल-सब्ज़ी मंडी की दुकानों के लाइसेंस नवीनीकरण के नाम पर दो व्यापारियों से रिश्वत ली थी। अब मंडी परिषद इस पूरे मामले को उदाहरण बनाकर बाकी मंडियों में भी सख्ती बढ़ाने की दिशा में काम कर रहा है।