
उत्तराखंड:गढ़वाल मंडल में आंगनबाड़ी केंद्रों और गरीबों में बांटने के लिए खरीदा गया सैकड़ों क्विंटल घटिया चावल प्रशासन की जांच में पकड़ में आया है। डीएम सविन बंसल के छापे में खुलासा हुआ कि गोदाम में भंडारित 25 लॉट में से 17 लॉट (करीब 2200 क्विंटल) चावल गुणवत्ता परीक्षण में फेल हो गए। प्रशासन ने इस चावल को सील कर दिया है और जिम्मेदार अधिकारियों के निलंबन की तैयारी की जा रही है।
जांच में सामने आया कि खाद्य विभाग ने राइस मिलों से टूटा, पुराना और काला चावल सस्ते दामों में खरीदा और पॉलिश कराकर गरीबों में बांटने की योजना बनाई। सवाल उठ रहा है कि आखिर गुणवत्ताहीन चावल की खरीद क्यों की गई?
नियमानुसार, चावल की खरीद और वितरण से पहले सैंपलिंग अनिवार्य थी, लेकिन ना तो खरीद के समय और ना ही गोदाम से जिलों में भेजते वक्त जांच हुई। लंबे समय से यह खेल चल रहा था और इसमें क्षेत्रीय खाद्य नियंत्रक से लेकर जिलों के खाद्य अधिकारी तक लिप्त थे।
डीएम ने इस गड़बड़ी में शामिल अधिकारियों पर वेतन रोकने, प्रतिकूल प्रविष्टि देने और विभागीय कार्रवाई के आदेश दिए हैं। प्रशासन ने गोदाम में “फर्स्ट इन, फर्स्ट आउट” प्रणाली लागू करने के निर्देश दिए ताकि भविष्य में गुणवत्ता युक्त खाद्यान्न का ही वितरण हो।
अब प्रशासन द्वारा पूरे मामले की विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जा रही है, जिसमें यह बताया जाएगा कि कितने नमूने फेल हुए, क्या अनियमितताएं थीं और किस स्तर पर लापरवाही हुई। रिपोर्ट डीएम को सौंपी जाएगी, जिसके बाद दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।