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दिल्ली-एनसीआर में सोमवार सुबह आए भूकंप ने लोगों को चौंका दिया। हालाँकि इसकी तीव्रता 4.0 थी, लेकिन इसके झटके बेहद तेज महसूस किए गए। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में चीजों को तेजी से हिलते देखा गया, जिससे लोगों में यह सवाल उठा कि इतनी कम तीव्रता के बावजूद झटके इतने तीव्र क्यों थे।
तेज झटकों के पीछे की वजहें
1. भूकंप का केंद्र दिल्ली के भीतर था
भूकंप का केंद्र यदि किसी घनी आबादी वाले क्षेत्र के भीतर होता है, तो वहां झटके अधिक तीव्र महसूस होते हैं। इसकी वजह यह है कि भूकंपीय तरंगों को इमारतों तक पहुँचने में कम दूरी तय करनी पड़ती है, जिससे कंपन अधिक बढ़ जाता है। इस भूकंप का केंद्र दिल्ली के धौला कुआं में था, जो राजधानी के मध्य क्षेत्र में आता है।
2. भूकंप की गहराई बहुत कम थी
नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी (NCS) के अनुसार, इस भूकंप का केंद्र जमीन से केवल 5 किमी की गहराई पर था। जब भूकंप का केंद्र सतह के बहुत करीब होता है, तो उसकी ऊर्जा सीधे सतह तक तेजी से पहुँचती है और झटके अधिक तीव्र महसूस होते हैं।
3. दिल्ली का भूकंपीय जोन-IV में होना
दिल्ली भूकंपीय क्षेत्र-IV में आता है, जो एक सक्रिय भूकंपीय क्षेत्र है। इसका अर्थ है कि यहां भूकंप का खतरा हमेशा बना रहता है और हल्के झटकों को भी अधिक प्रभावी रूप में महसूस किया जा सकता है।
4. ऊँची इमारतों की संख्या अधिक होना
दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद और गुरुग्राम जैसे इलाकों में ऊँची इमारतों की संख्या अधिक है। विशेषज्ञों के अनुसार, इन ऊँची इमारतों की डिजाइन ऐसी होती है कि वे झटकों के प्रति अधिक संवेदनशील होती हैं। जब भूकंप आता है, तो ऊँची इमारतें अधिक हिलती हैं और कंपन बढ़ जाता है। इससे भूकंप की तीव्रता लोगों को अधिक महसूस होती है।
5. दिल्ली की मिट्टी का प्रभाव
दिल्ली के कुछ हिस्सों की मिट्टी नरम जलोढ़ मिट्टी (Alluvial Soil) से बनी हुई है। ऐसी मिट्टी में भूकंपीय तरंगें अधिक देर तक कंपन करती हैं और उनकी तीव्रता बढ़ जाती है। इस वजह से झटके सामान्य से अधिक महसूस होते हैं।