
ऋषिकेश: में आज एक गौरवपूर्ण अवसर पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ऋषिकेश के पांचवें दीक्षांत समारोह में भाग लिया। इस अवसर पर उन्होंने 434 मेडिकल छात्रों को उपाधि प्रदान की, जिसमें 14 छात्रों को गोल्ड मेडल, एक छात्रा को सिल्वर और एक को कांस्य पदक से सम्मानित किया गया।
अपने संबोधन में जेपी नड्डा ने कहा कि केंद्र सरकार की प्राथमिकता देश के हर गरीब नागरिक को सस्ती और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराना है। उन्होंने यह भी कहा कि समय के साथ बीमारियों का स्वरूप बदल रहा है और ऐसे में रिसर्च करने वाले डॉक्टरों की भूमिका पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो गई है। उन्होंने बताया कि एम्स ऋषिकेश ने न सिर्फ चिकित्सा सेवा में बल्कि शोध के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय योगदान दिया है।
एम्स ऋषिकेश से आज एमबीबीएस, बीएससी नर्सिंग, एमडी, एमएस, पीएचडी समेत विभिन्न कोर्सों के छात्रों को डिग्रियां दी गईं। इस अवसर पर जेपी नड्डा ने देश में मेडिकल शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं के विस्तार की जानकारी देते हुए बताया कि भारत में अब 22 एम्स संस्थान संचालित हो रहे हैं, जबकि पहले केवल एक ही था। इसके अलावा देशभर में मेडिकल कॉलेजों की संख्या 780 तक पहुंच चुकी है और मेडिकल सीटों में भी भारी वृद्धि हुई है।
उन्होंने जानकारी दी कि एम्स ऋषिकेश ने हेलीकॉप्टर और ड्रोन सेवाओं के जरिए अब तक 309 गंभीर मरीजों की जान बचाई है। इसके साथ ही देशभर में 1.75 लाख आयुष्मान आरोग्य मंदिर लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं दे रहे हैं।
इस मौके पर एम्स ऋषिकेश में कई नई चिकित्सा सेवाओं का उद्घाटन भी किया गया, जिनमें आयुष विभाग में एकीकृत चिकित्सा सुविधा, न्यूक्लियर मेडिसिन विभाग में पीईटी स्कैन मशीन, रेडियोलॉजी विभाग में पीएसीएस तकनीक और बाल चिकित्सा विभाग में उन्नत देखभाल केंद्र शामिल हैं।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बताया कि एम्स ऋषिकेश रोबोटिक सर्जरी, न्यूरो सर्जरी और रेडिएशन थेरेपी जैसी अत्याधुनिक सेवाएं प्रदान कर रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि उत्तराखंड में अब तक 5,000 से अधिक ग्राम पंचायतों को टीबी मुक्त घोषित किया जा चुका है और राज्य सरकार प्रत्येक जिले में एक मेडिकल कॉलेज स्थापित करने के साथ जन औषधि केंद्रों का नेटवर्क मजबूत करने के लिए लगातार काम कर रही है।