लगातार प्रयास और अथक संघर्ष का फल अमृत की तरह मीठा होता है। बंगाल की 55 वर्षीय लान बाल खिलाड़ी बीना शाह के लिए यह जीत किसी बड़े सपने के सच होने जैसी थी। 12 साल के कठिन संघर्ष के बाद 38वें राष्ट्रीय खेलों में उन्होंने एक स्वर्ण और एक कांस्य पदक जीता, जबकि उनकी बेटी किंजल शाह ने दो रजत पदक हासिल किए।
बीना शाह ने बताया कि यह सफर आसान नहीं था। कई बार निराशा हाथ लगी, यहां तक कि उन्होंने खेल से संन्यास लेने का भी विचार किया। लेकिन दिल में बसी स्वर्ण पदक की चाह ने उन्हें हार मानने नहीं दी। उनकी मेहनत रंग लाई और आखिरकार 38वें राष्ट्रीय खेलों में वह सुनहरा सपना पूरा हुआ, जिसके लिए वह वर्षों से प्रयासरत थीं।
बीना शाह इससे पहले भी दो बार राष्ट्रीय खेलों में रजत पदक जीत चुकी थीं, लेकिन स्वर्ण पदक के लिए उनका संघर्ष जारी रहा। इस बार उन्होंने महिला एकल स्पर्धा में स्वर्ण और महिला जोड़ी स्पर्धा में कांस्य पदक हासिल किया। उनकी बेटी किंजल शाह, जो पहली बार राष्ट्रीय खेलों में प्रतिभाग कर रही थीं, ने भी महिला ट्रिपल्स और महिला फोर्स में दो रजत पदक अपने नाम किए।
बीना शाह का कहना है कि लक्ष्य कोई भी हो, निरंतर प्रयास और धैर्य से उसे पाया जा सकता है। जीवन में कभी हार न मानें और जब तक सफलता न मिले, तब तक प्रयास जारी रखें। वहीं, उनकी बेटी किंजल ने बताया कि उनकी प्रेरणा उनकी मां हैं। उनकी मेहनत और समर्पण ने उन्हें भी राष्ट्रीय खेलों में बेहतरीन प्रदर्शन करने की प्रेरणा दी