उत्तराखंड में आज समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू हो गई। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मुख्य सेवक सदन में यूसीसी के पोर्टल और नियमावली का लोकार्पण करते हुए इसकी अधिसूचना जारी की। सीएम धामी ने इसे राज्य और देश के लिए ऐतिहासिक दिन करार दिया। उन्होंने कहा, “यूसीसी लागू कर हमने अपने वादे को पूरा किया। यह समानता और समरसता की दिशा में बड़ा कदम है।
मुख्यमंत्री ने कहा, “यूसीसी धर्म, जाति, और लिंग के भेदभाव को समाप्त करने का कानूनी उपाय है। यह महिलाओं के सशक्तिकरण और सुरक्षा को सुनिश्चित करेगा। हलाला और तलाक जैसी कुप्रथाओं पर प्रभावी रोक लगेगी। लिव-इन संबंधों में पंजीकरण के माध्यम से दोनों पक्षों को सुरक्षा मिलेगी।”
उन्होंने यह भी घोषणा की कि 27 जनवरी हर साल ‘समान नागरिक संहिता दिवस’ के रूप में मनाया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने इसे यूसीसी रूपी गंगा बताते हुए कहा कि जैसे गंगा पूरे देश को लाभान्वित करती है, वैसे ही यह कानून समानता का संदेश देगा। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, जस्टिस प्रमोद कोहली और उनकी समिति, विधानसभा सदस्यों, आईटी विभाग, और पुलिस विभाग का आभार व्यक्त किया।
यूसीसी लागू होने के तुरंत बाद, मुख्यमंत्री ने पोर्टल पर पहला पंजीकरण कराया। इस दौरान निकिता नेगी रावत, मनोज रावत, अंजना रावत, मीनाक्षी, और अंजली जैसे अन्य नागरिकों ने भी सबसे पहले पंजीकरण कर प्रमाणपत्र प्राप्त किया।
यह भी घोषणा की गई कि पहले छह महीने तक पंजीकरण के लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा।
सीएम धामी ने स्पष्ट किया कि यूसीसी संविधान के अनुच्छेद के आधार पर जनजातियों को अलग रखता है। उन्होंने कहा, यह किसी धर्म, संप्रदाय, या समुदाय के खिलाफ नहीं है। यह समानता और समरसता का मार्ग है।