
राज्य में अपनी जान जोखिम में डालकर दूसरों की जान बचाने वाले बहादुर बच्चों को अब राज्य स्तर पर भी वीरता पुरस्कार देने की तैयारी की जा रही है। उत्तराखंड राज्य बाल कल्याण परिषद ने इस संबंध में प्रस्ताव तैयार कर लिया है, जिसे 17 फरवरी को राजभवन से मंजूरी मिलने की संभावना है।
बाल वीरों को मिलेगा सम्मान
राज्य में गुलदार से भिड़कर दूसरों की जान बचाने या पानी में डूबते लोगों को सुरक्षित निकालने जैसे कई वीरतापूर्ण कार्य करने वाले बच्चों के मामले सामने आते रहते हैं। पहले ऐसे बच्चों को भारतीय बाल कल्याण परिषद द्वारा गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया जाता था। लेकिन हाल के वर्षों में आवेदन प्रक्रिया ठप पड़ने के कारण, अब राज्य स्तर पर इन बच्चों को पुरस्कृत करने की योजना बनाई जा रही है।
राखी ने बचाई थी छोटे भाई की जान
पौड़ी जिले की बहादुर बिटिया राखी ने अपने चार साल के छोटे भाई को गुलदार से बचाने के लिए अदम्य साहस का परिचय दिया था। उसकी वीरता के लिए उसे राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
अब तक 15 बाल वीरों को मिल चुका है राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार
उत्तराखंड के कई बच्चों को राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया गया है:
- हरीश राणा (2003, टिहरी गढ़वाल)
- माजदा (2004, हरिद्वार)
- पूजा कांडपाल (2007, अल्मोड़ा)
- प्रियांशु जोशी (2010, देहरादून)
- स्व. श्रुति लोधी (2010, देहरादून)
- स्व. कपिल नेगी (2011, रुद्रप्रयाग)
- स्व. मोनिका उर्फ मनीषा (2014, चमोली)
- लाभांशु (2014, देहरादून)
- अर्जुन (2015, टिहरी)
- सुमित ममगाई (2016, देहरादून)
- पंकज सेमवाल (2017, टिहरी गढ़वाल)
- राखी (2019, पौड़ी गढ़वाल)
- सनी (2020, नैनीताल)
- मोहित चंद उप्रेती (2020, पिथौरागढ़)
- नितिन रावत (2022, रुद्रप्रयाग)
राजभवन में होगी आम सभा की बैठक
17 फरवरी को राजभवन में राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेनि.) की अध्यक्षता में राज्य बाल कल्याण परिषद की आम सभा बैठक होगी। इसमें बाल वीरों को राज्य स्तरीय वीरता पुरस्कार देने के प्रस्ताव को मंजूरी मिलने की उम्मीद है। इसके अलावा, राज्य स्तरीय चित्रकला प्रतियोगिता के विजयी बच्चों को शैक्षिक सहायता देने सहित अन्य प्रस्तावों पर भी विचार किया जाएगा।