
उत्तराखंड परिवहन निगम इस वित्तीय वर्ष में ₹50 करोड़ से अधिक के घाटे में चल रहा है, और इस स्थिति को बदतर बनाने में बस चालक और परिचालकों की लापरवाही का भी बड़ा योगदान है। निगम की बसें तय रूट से हटकर चल रही हैं, डीजल की खपत बढ़ रही है, और यात्री सुविधाओं की अनदेखी हो रही है।
यात्रियों को बैठाने में लापरवाही: अन्य राज्यों की बसों में चालक-परिचालक यात्रियों को बुलाकर बैठाते हैं, जबकि उत्तराखंड परिवहन निगम के कई चालक बसें खाली दौड़ा रहे हैं।
ब्लूटूथ और मोबाइल में व्यस्त परिचालक: कई परिचालक कान में लीड या ब्लूटूथ लगाकर मोबाइल पर गाने सुनते रहते हैं, जिससे यात्रियों को सही जानकारी नहीं मिलती।अनुमानित रूट का पालन नहीं: बसें तय स्टॉप पर नहीं रुक रही हैं, जिससे यात्री परेशान हो रहे हैं। खासकर हरिद्वार, रुड़की, सहारनपुर, अंबाला जैसे प्रमुख स्टेशनों पर बसें नहीं रुक रहीं।डीजल खपत में बढ़ोतरी: बसों के गलत रूट पर जाने से डीजल की बर्बादी हो रही है, जिससे निगम का घाटा बढ़ रहा है।वरिष्ठ नागरिकों और छात्राओं के साथ भेदभाव: बसों में सीट खाली होने के बावजूद वरिष्ठ नागरिकों और छात्राओं को नहीं बैठाया जा रहा, जबकि उन्हें निशुल्क यात्रा का अधिकार है।
MD रीना जोशी ने दिए कड़े निर्देश
निगम की प्रबंध निदेशक रीना जोशी ने सभी मंडल एवं डिपो प्रबंधकों के साथ बैठक कर इन समस्याओं को सुलझाने के लिए कड़े निर्देश जारी किए हैं:
बसें तय मार्ग पर ही चलेंगी और निर्धारित बस अड्डों पर हर हाल में रुकेंगी।परिचालकों को यात्रियों को आवाज देकर बैठाने के निर्देश दिए गए हैं, उनकी काउंसिलिंग कराई जाएगी।अगर शिकायतें जारी रहीं तो दोषी चालक, परिचालक और डिपो अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई होगी। डीजल औसत बढ़ाने के लिए बसों के रखरखाव और तकनीकी सुधार पर ध्यान दिया जाएगा।
समस्या बनी तो होगी कार्रवाई
अगर चालक और परिचालक बसों को खाली दौड़ाने, यात्रियों को न बैठाने या तय रूट से हटकर बसें चलाने की लापरवाही करते हैं, तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।