
नैनीताल, उत्तराखंड की खूबसूरत सरोवर नगरी, जो अपने ठंडे मौसम और बर्फबारी के लिए मशहूर रही है, अब जलवायु परिवर्तन के कारण बदलते मौसम का सामना कर रही है। इस साल जनवरी और फरवरी में न तो बर्फबारी हुई और न ही तापमान में सामान्य गिरावट देखी गई। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, यह बदलाव जलवायु परिवर्तन के कारण हो रहा है, जिससे न केवल तापमान में वृद्धि हो रही है, बल्कि बर्फबारी की संभावना भी घटती जा रही है।
बदलते मौसम के संकेत
पहले जहाँ जनवरी और फरवरी के महीने में नैनीताल बर्फ से ढका हुआ रहता था, वहीं इस साल तापमान 22 डिग्री सेल्सियस तक पहुँच गया। जलवायु वैज्ञानिकों का मानना है कि इस बदलाव का मुख्य कारण आर्द्रता (नमी) की कमी है। पिछले कुछ सालों में बर्फबारी में गिरावट देखी गई है, और अगर यह ट्रेंड जारी रहा, तो यह जगह बर्फबारी से पूरी तरह वंचित हो सकती है।
पिछले कुछ सालों में बढ़ता तापमान
अगर हम पिछले 6 वर्षों के तापमान के आंकड़े देखें, तो यह स्पष्ट है कि नैनीताल में तापमान लगातार बढ़ रहा है। 2020 में जहां न्यूनतम तापमान 1.25 डिग्री सेल्सियस और अधिकतम तापमान 17.73 डिग्री सेल्सियस था, वहीं 2025 में यह बढ़कर 4.1 डिग्री सेल्सियस और 22.62 डिग्री सेल्सियस हो सकता है। इस बदलाव को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि नैनीताल का सर्द मौसम और बर्फबारी अब सिमटती जा रही है।
क्या नैनीताल का आकर्षण खत्म हो जाएगा
नैनीताल में पहले बर्फबारी के कारण लंबी छुट्टियाँ होती थीं और पर्यटन गतिविधियां शिखर पर होती थीं। अब बर्फबारी की कमी से ना केवल पर्यटकों का आकर्षण घट सकता है, बल्कि इसका असर स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र पर भी पड़ेगा। जलवायु परिवर्तन के कारण बारिश के पैटर्न में भी बदलाव आ सकता है, जो भविष्य में समस्याओं का कारण बन सकता है।
नैनीताल के पारिस्थितिकी तंत्र को कैसे बचाएं?
वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित किया जाए, तो नैनीताल का मौसम बचाया जा सकता है। इसके लिए कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाए जा सकते हैं:
1. वनों की अंधाधुंध कटाई को रोकना।
.2 पर्यावरण संरक्षण पर ध्यान केंद्रित करना।
3. जलवायु परिवर्तन के बारे में जागरूकता फैलाना।
4. हरित ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देना।
क्या नैनीताल हमेशा के लिए बदल जाएगा?
जलवायु परिवर्तन की यह चेतावनी केवल नैनीताल तक सीमित नहीं है। यह दुनिया भर के अन्य ठंडे इलाकों में भी हो रहा है। अगर पर्यावरण संरक्षण पर गंभीर कदम नहीं उठाए गए, तो भविष्य में नैनीताल मेंब र्फबारी केवल एक याद बनकर रह जाएगी।