
उत्तराखंड विधानसभा ने उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश और भूमि व्यवस्था अधिनियम-1950 में संशोधन कर सशक्त भू-कानून को मंजूरी दे दी है। इस कानून के तहत अब राज्य के बाहर के लोग पहाड़ी जिलों में कृषि भूमि नहीं खरीद पाएंगे। सरकार का मानना है कि इससे भूमि की अनियंत्रित बिक्री पर रोक लगेगी, मूल निवासियों को लाभ मिलेगा और जमीन की कीमतों में अनावश्यक वृद्धि नहीं होगी।
तीन साल की मेहनत के बाद आया नया कानून
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में सरकार पिछले तीन साल से सशक्त भू-कानून पर काम कर रही थी। 2022 में पूर्व मुख्य सचिव सुभाष कुमार की अध्यक्षता में एक समिति का गठन हुआ, जिसने अपनी रिपोर्ट में 23 सिफारिशें दी थीं। इन सिफारिशों के आधार पर सरकार ने कानून को मजबूत किया है।
क्या बदलेगा नए कानून से?
बाहरी लोगों की कृषि भूमि खरीद पर रोक (हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर को छोड़कर)
भूमि खरीद की अनुमति देने का अधिकार अब जिलाधिकारी से हटाकर सरकार को दिया गया
सभी मामलों की मंजूरी सरकार के पोर्टल के जरिए होगी
राज्य से बाहर के लोग 250 वर्ग मीटर तक ही आवासीय भूमि खरीद सकेंगे, वह भी एक बार
भूमि का गलत उपयोग करने पर जमीन सरकार में निहित हो जाएगी
कृषि भूमि का भू-उपयोग परिवर्तन केवल सरकारी अनुमति से संभव होगा
भू-कानून में अब तक हुए बदलाव
उत्तराखंड बनने के बाद 2003 में एनडी तिवारी सरकार ने पहली बार भू-कानून में बदलाव किए थे, जिसमें बाहरी लोगों को कृषि भूमि खरीदने पर प्रतिबंध लगाया गया। 2007 में खंडूड़ी सरकार ने इसे और सख्त किया। लेकिन 2018 में त्रिवेंद्र सरकार ने इसमें ढील देते हुए भूमि खरीद की अधिकतम सीमा खत्म कर दी। अब धामी सरकार ने इसे फिर से सख्त किया है, जिससे बाहरी लोगों की भूमि खरीद सीमित हो जाएगी और राज्य की प्राकृतिक संपदा सुरक्षित रहेगी।