नैनीताल: सरोवर नगरी की पहचान नैनी झील इस बार जल संकट की ओर बढ़ रही है। बारिश कम होने और बर्फबारी लगभग न के बराबर रहने से झील का जलस्तर तेजी से घट रहा है। इसके अलावा, समय से पहले बढ़े पर्यटन ने पानी की खपत बढ़ा दी है, जिससे झील पर अतिरिक्त दबाव पड़ रहा है। झील का सामान्य जलस्तर अब घटकर मात्र चार फीट दो इंच रह गया है। यदि स्थिति ऐसी ही रही और बारिश जल्द नहीं हुई, तो इस साल पीक पर्यटन सीजन में जलस्तर और कम हो सकता है, जिससे शहरवासियों और पर्यावरण प्रेमियों की चिंता बढ़ गई है।
जल संस्थान के सहायक अभियंता डी.एस. बिष्ट के अनुसार, आम दिनों में शहर में रोजाना 8 एमएलडी (मिलियन लीटर प्रति दिन) पानी की सप्लाई की जाती है, लेकिन मार्च के पहले सप्ताह से ही पर्यटन बढ़ने के कारण इसे 10 एमएलडी कर दिया गया है। मल्लीताल क्षेत्र में झील किनारे स्थापित 10 ट्यूबवेल 800 से 1200 लीटर प्रति मिनट की क्षमता से जल आपूर्ति कर रहे हैं। वहीं, नैनीताल में 8,200 घरेलू और व्यावसायिक जल संयोजन हैं, जो झील से पानी प्राप्त करते हैं।
पर्यावरणविद प्रो. अजय रावत का कहना है कि कम बारिश के कारण झील में जलस्तर गिर रहा है, जबकि बढ़ता मलबा झील का दायरा भी संकीर्ण कर रहा है। इसके अलावा, जलागम क्षेत्रों में लगातार निर्माण कार्य होने से स्थिति और भी गंभीर होती जा रही है। झील का मुख्य जल स्रोत पहाड़ियों से बहकर आने वाले नाले और प्राकृतिक जल स्रोत हैं, लेकिन इस बार बारिश कम होने से इनसे भी झील को पर्याप्त जल नहीं मिल पा रहा है।
यदि जल्द ही बारिश नहीं हुई और पानी का अत्यधिक दोहन जारी रहा, तो आने वाले दिनों में नैनी झील को गंभीर जल संकट का सामना करना पड़ सकता है।