
उत्तराखंड में मंगलवार से प्रदेश सरकार का नया वित्तीय वर्ष 2025-26 शुरू हो गया है। वित्त विभाग ने सभी प्रशासकीय विभागों को बजट की आय और व्यय से संबंधित दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं। इस बार कैंपा की धनराशि का उपयोग केंद्र पोषित योजनाओं की तर्ज पर करने का निर्णय लिया गया है, जिसे मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित उच्च अधिकार प्राप्त समिति ने मंजूरी दी थी। अब इस फैसले को वित्त विभाग ने अपने दिशा-निर्देशों में भी शामिल कर लिया है।
वित्त सचिव दिलीप जावलकर द्वारा जारी निर्देशों के अनुसार, पूंजीगत परिव्यय में से स्वीकृत धनराशि का 80 प्रतिशत चालू योजनाओं पर खर्च किया जाएगा, जबकि नई योजनाओं पर केवल 20 प्रतिशत धनराशि ही खर्च हो सकेगी। हर वर्ष की तरह इस बार भी वित्त विभाग ने सभी विभागों को किफायत बरतने के निर्देश दिए हैं। खासतौर पर एक करोड़ रुपये से अधिक की नई परियोजनाओं को तभी स्वीकृति दी जाएगी जब उनके लिए गति शक्ति पोर्टल से जनरेटेड यूनिक आईडी प्राप्त होगी। इसके अलावा, विभागों को 30 अप्रैल तक योजनावार कार्यों की रिपोर्ट वित्त विभाग को सौंपनी होगी।
वित्त विभाग ने यह भी स्पष्ट किया है कि पूंजीगत कार्यों के लिए नई वित्तीय स्वीकृति अंतिम तिमाही में न दी जाए। इस दिशा में विभागाध्यक्षों, प्रशासनिक विभागों और संबंधित वित्त व्यय नियंत्रण विभागों को जवाबदेह बनाया गया है। प्रतीक (टोकन) धनराशि के आधार पर योजनाओं को स्वीकृति देने की परंपरा को भी अनुचित माना गया है, क्योंकि इससे परियोजनाओं की लागत और समय दोनों बढ़ जाते हैं। इसलिए ऐसे कार्यों की समीक्षा कर, जिन पर अब तक काम शुरू नहीं हुआ है, उन्हें निरस्त कर नए सिरे से बजट की उपलब्धता के आधार पर स्वीकृति दी जाएगी।
वित्त विभाग ने सबसे पहले राज्य आकस्मिकता निधि से निकाली गई धनराशि की प्रतिपूर्ति करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही, ऐसी पूंजीगत योजनाएं जिन पर राज्य सेक्टर से दो करोड़ से अधिक खर्च संभावित है, उन्हें एसएएसीआई (SACI) के तहत अनिवार्य रूप से प्रस्तावित करने का निर्देश दिया गया है।