हल्द्वानी के फतेहपुर चौसला गांव में ज़मीन की बिक्री को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। आरोप है कि एक व्यक्ति ने अपनी ज़मीन की प्लॉटिंग कर 68 लोगों को बेच दिया, जिससे स्थानीय निवासियों में नाराजगी देखी जा रही है। बताया जा रहा है कि ज़मीन खरीदने वाले लोग उत्तर प्रदेश के रामपुर और मुरादाबाद क्षेत्र से आए हैं और अब यहां मकान निर्माण कर रहे हैं। इस घटनाक्रम को लेकर स्थानीय लोग प्रशासन से कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
इस मामले की शिकायत मिलने पर हल्द्वानी नगर निगम के मेयर गजराज सिंह बिष्ट ने इसे डेमोग्राफिक चेंज का सोचा-समझा प्रयास बताया है। उन्होंने सवाल उठाया कि इतने बड़े स्तर पर एक ही समुदाय के लोगों को ज़मीन की रजिस्ट्री और दाखिल-खारिज कैसे हो गई। इस मुद्दे को लेकर हिंदूवादी संगठनों ने भी हल्द्वानी तहसील में प्रदर्शन किया और इस पूरे प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच की मांग की। प्रदर्शन के दौरान शिकायतकर्ता विपिन पांडे ने बताया कि एक साल पहले ही चौसला गांव में डेमोग्राफिक बदलाव और बाहरी लोगों द्वारा ज़मीन खरीदने की शिकायत की गई थी। इसके बावजूद रजिस्ट्री का सिलसिला नहीं रुका और प्रशासन ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया। उन्होंने जिला प्रशासन की भूमिका को भी संदेह के घेरे में बताया।
शिकायतकर्ताओं ने आरोप लगाया कि एक प्रॉपर्टी डीलर ने चौसला गांव में फैक्ट्री स्थापित कर छोटे-छोटे प्लॉट काटे और बाहर से आए लोगों को बेचा। उनका कहना है कि 68 से अधिक लोग अब यहां ज़मीन खरीदकर मकान बना रहे हैं, जिससे क्षेत्र की मूल संरचना बदल रही है। इस मुद्दे को लेकर तहसील परिसर में पूरे दिन गहमागहमी बनी रही और प्रदर्शनकारियों ने प्रशासन से जल्द कार्रवाई करने की मांग की। शिकायतकर्ताओं की मांग है कि संबंधित क्षेत्र में स्थापित फैक्ट्री को दो दिन के भीतर सील किया जाए और 15 दिन के भीतर ज़मीन की रजिस्ट्री और दाखिल-खारिज की जांच कर उचित कार्रवाई की जाए।
हल्द्वानी नगर निगम के मेयर गजराज सिंह बिष्ट ने बताया कि इस मामले की जानकारी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को भी दे दी गई है। उनका कहना है कि बाहरी लोग उत्तराखंड की जनसंख्या संरचना में बदलाव लाने की कोशिश कर रहे हैं और इसे किसी भी कीमत पर सफल नहीं होने दिया जाएगा। मेयर ने अधिकारियों पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि जब अन्य कॉलोनियों को नियमों के तहत सील किया जा रहा है, तो फिर इस मामले में इतनी लापरवाही क्यों बरती गई? उन्होंने आरोप लगाया कि प्रशासन की भूमिका संदिग्ध है और अधिकारी इस पूरे प्रकरण को नज़रअंदाज कर रहे हैं। इस बीच, एसडीएम परितोष वर्मा ने बताया कि ज़मीन बिक्री के मामले की जांच जारी है और रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण (रेरा) के तहत कार्रवाई के लिए जिलाधिकारी नैनीताल को रिपोर्ट भेजी गई है। इसके अलावा, सरकारी भूमि पर अतिक्रमण के मामले में भी 15 दिन के भीतर जवाब देने के लिए नोटिस जारी कर दिया गया है।