
हल्द्वानी में सरकारी राशन की कालाबाजारी और अवैध भंडारण के मामले में दो आरोपियों को अदालत ने चार-चार साल के सश्रम कारावास और पचास-पचास हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (CJM) नैनीताल, रवि प्रकाश शुक्ल की अदालत ने यह फैसला सुनाया।
मामला 27 जनवरी 2021 का है, जब हल्द्वानी के पूर्ति निरीक्षक रवि सनवाल को मुखबिर से सूचना मिली कि गौजाजाली क्षेत्र में सरकारी गेहूं और चावल की कालाबाजारी की जा रही है। उन्होंने पुलिस बल के साथ वहां छापा मारा, जहां एक पिकअप गाड़ी में राशन के कट्टे लदे हुए मिले। ये कट्टे मो. अहमद ‘गुड्डु’ के घर पर उतारे जा रहे थे। पुलिस को देखते ही मजदूर और वाहन चालक फरार हो गए। मौके से 28 कट्टे सरकारी चावल और 8 कट्टे सरकारी गेहूं बरामद किया गया। जब घर के लोगों से कागजात दिखाने को कहा गया तो वे कोई वैध दस्तावेज नहीं दिखा सके और न ही मो. अहमद ‘गुड्डु’ वहां मौजूद था।
पुलिस और खाद्य विभाग की टीम ने जब्त किए गए राशन और वाहन को कब्जे में लेकर वनभूलपुरा थाने में मुकदमा दर्ज किया। बाद में 12 सितंबर 2022 को मो. अहमद ‘गुड्डु’ और जावेद ने आत्मसमर्पण किया और उन्हें उसी दिन जमानत मिल गई। जांच अधिकारी उप-निरीक्षक संजय बोरा ने इस मामले में जांच के बाद पर्याप्त साक्ष्य पाते हुए चार्जशीट अदालत में पेश की। सुनवाई के दौरान अभियुक्तों ने खुद को निर्दोष बताया, लेकिन अदालत ने उनके खिलाफ आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 की धारा 3/7 के तहत दोष सिद्ध किया।
मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट रवि प्रकाश शुक्ल ने दोनों दोषियों को चार-चार साल के सश्रम कारावास के साथ पचास-पचास हजार रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई। इस मामले में अभियोजन अधिकारी श्रद्धा रावत ने प्रभावी पैरवी की। सरकार द्वारा गरीबों को वितरित किए जाने वाले राशन की कालाबाजारी एक गंभीर अपराध है और इस मामले में अदालत का यह सख्त फैसला अन्य लोगों के लिए भी एक चेतावनी है।