
रामनगर (नैनीताल): रामनगर के संयुक्त चिकित्सालय में कार्यरत लगभग 250 कर्मचारी अचानक बेरोजगार हो गए हैं। अस्पताल को पीपीपी मोड से हटाकर दोबारा सरकारी नियंत्रण में लिए जाने के बाद ये कर्मचारी काम से बाहर हो गए। नाराज़ कर्मचारियों ने अस्पताल परिसर के पास जोरदार प्रदर्शन किया और सरकार से दोबारा बहाली या वैकल्पिक रोजगार की मांग की।
चार साल से था पीपीपी मोड पर अस्पताल
वर्ष 2020 में अस्पताल को पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) के तहत निजी संस्था को सौंपा गया था। उद्देश्य था स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार लाना, लेकिन बीते चार सालों में ना सुविधाएं सुधरीं और ना ही व्यवस्था। अस्पताल बदहाल हालत में सुर्खियों में बना रहा। स्थानीय लोगों और जनप्रतिनिधियों के दबाव के चलते सरकार ने 1 अप्रैल 2025 से अस्पताल को दोबारा सरकारी तंत्र में ले लिया।
बिना सूचना नौकरी से निकाले जाने पर फूटा गुस्सा
हटाए गए कर्मचारियों का कहना है कि उन्हें बिना किसी पूर्व सूचना या नोटिस के अचानक निकाल दिया गया। उनका कहना है कि जब पहले PPP मोड का समय तीन-तीन माह के लिए बढ़ाया जाता रहा, तो इस बार भी उन्हें कम से कम तैयारी का समय मिलना चाहिए था।
कोरोना काल में सेवा देने का दिया हवाला
प्रदर्शनकारी कर्मचारियों ने कहा कि उन्होंने कोरोना जैसी महामारी में भी बिना डिग्री या पक्के पद के मरीजों की सेवा की थी। अब वही कर्मचारी बेरोजगार हो गए हैं और उन्हें निजी अस्पतालों में भी काम नहीं मिल पा रहा है।
कर्मचारियों की मांग
प्रदर्शन कर रहे कर्मचारियों ने दो मांगें रखी हैं – या तो अस्पताल को दोबारा PPP मोड में लाया जाए जिससे वे फिर काम पर लौट सकें, या फिर सरकार उनके लिए कोई स्थायी रोजगार योजना तैयार करे। चेतावनी दी गई है कि अगर जल्द फैसला नहीं लिया गया तो आंदोलन तेज़ किया जाएगा।
प्रशासन की प्रतिक्रिया
संयुक्त अस्पताल के सीएमएस डॉ. विनोद टम्टा ने कहा है कि मामला उच्चाधिकारियों के संज्ञान में है और आगे की कार्रवाई निर्देशानुसार की जाएगी।