
देहरादून। कभी-कभी कुछ आवाज़ें दिल चीर कर रख देती हैं। कुछ दृश्य ऐसे होते हैं, जिन्हें देख या सुनकर रूह कांप जाती है। देहरादून के कैंट थाना क्षेत्र अंतर्गत राजेंद्र नगर की गली नंबर 8 में शुक्रवार को कुछ ऐसा ही मंजर देखने को मिला—जहां इंसानियत चीख रही थी और एक मासूम बच्ची की चीत्कार हर देखने-सुनने वाले को भीतर तक तोड़ रही थी।
मनोज नेगी, एक साधारण चायवाले, रोज़ की तरह अपने छोटे से ठेले पर मेहनत की कमाई के लिए चाय बेच रहे थे। तपती दोपहर थी, लेकिन उनका हौसला कभी मौसम नहीं देखता। तभी अचानक कुछ युवक आए… और बिना किसी दया के उन पर टूट पड़े
ठेला पलटा, सामान फेंका और थप्पड़ों-लातों की बरसात
बदमाशों ने न सिर्फ मनोज नेगी के साथ बेरहमी से मारपीट की, बल्कि उनकी रोज़ी-रोटी की पहचान—ठेला और चाय के बर्तन—सड़क पर बिखेर दिए। पर इस घटना का सबसे हृदय विदारक पहलू था, वह छोटी सी बच्ची जो अपने पिता को बचाने के लिए लोगों से भीख मांगती रही। वो मासूम सी आवाज़, जो बार-बार गूंज रही थी—कभी राहगीरों से, कभी उन दरिंदों से। उसकी आंखों से गिरते आंसू, कांपती हुई आवाज़ और छोटी-छोटी हथेलियों से पिता को बचाने की कोशिशें… ये सब कुछ कह रहे थे कि यह सिर्फ एक हमला नहीं था, यह उस मासूम के बचपन पर एक गहरा ज़ख्म था।
स्थानीय लोगों के अनुसार, मनोज किसी से उलझने वाले नहीं हैं। मेहनत से पेट पालते हैं और सबका आदर करते हैं। लेकिन कुछ अज्ञात युवकों ने न जाने क्यों, इस मेहनतकश इंसान को अपना निशाना बना लिया। अब सवाल सिर्फ न्याय का नहीं है, सवाल उस बच्ची के विश्वास का है, जो अपनी नन्हीं आंखों से ये पूछ रही है,क्या मेरे पापा को कोई बचा नहीं सकता