
देहरादून के एक नामी निजी स्कूल में दर्जनों छात्रों को फेल कर देने के मामले ने न सिर्फ अभिभावकों को चिंता में डाल दिया, बल्कि शिक्षा विभाग और बाल अधिकार संरक्षण आयोग को भी हरकत में ला दिया है। कक्षा 11 में पढ़ने वाले कुल 107 छात्रों में से करीब 45 छात्रों को फेल कर दिया गया। जब यह जानकारी अभिभावकों के ज़रिए बाल अधिकार संरक्षण आयोग तक पहुंची, तो पूरे मामले को गंभीरता से लिया गया और तत्काल कार्रवाई शुरू कर दी गई।
इस घटनाक्रम ने उस समय तूल पकड़ लिया जब कुछ अभिभावक अपनी शिकायत लेकर आयोग के पास पहुंचे। उन्होंने कहा कि बच्चों ने सालभर पढ़ाई की, मेहनत की, फिर भी बिना किसी ठोस वजह के उन्हें फेल कर दिया गया। उनका आरोप था कि स्कूल में पढ़ाई का स्तर गिरा है और उसी का खामियाजा बच्चों को भुगतना पड़ रहा है। शिकायत में बच्चों की मानसिक स्थिति पर भी चिंता जताई गई और कहा गया कि ऐसे फैसलों से छात्र भावनात्मक रूप से टूट सकते हैं।
आयोग की अध्यक्ष गीता खन्ना ने इस मामले को बेहद संवेदनशील बताते हुए शिक्षा विभाग से तत्काल संपर्क किया। उन्होंने मुख्य शिक्षा अधिकारी से कहा कि वह इस स्कूल की पूरी जांच कराएं और रिपोर्ट जल्द से जल्द आयोग को सौंपें, ताकि यह पता चल सके कि बच्चों को फेल करने का आधार क्या था और क्या यह शिकायत वाकई सही है। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि अगर छात्रों को आगे बढ़ाना संभव नहीं है तो कम से कम आयोग की मौजूदगी में उनकी दोबारा परीक्षा ली जाए, ताकि किसी के साथ अन्याय न हो।
गीता खन्ना ने साफ किया कि किसी भी बच्चे की मानसिक स्थिति से खिलवाड़ नहीं किया जा सकता। उन्होंने स्कूल प्रबंधन से भी इस स्थिति पर गहराई से सोचने और फेल हुए छात्रों को अगली कक्षा में प्रोन्नत करने पर विचार करने को कहा है। वहीं मुख्य शिक्षा अधिकारी को स्कूल का रिकॉर्ड खंगालने और तथ्यों की पुष्टि करने के निर्देश दे दिए गए हैं।
अब उम्मीद की जा रही है कि मुख्य शिक्षा अधिकारी की रिपोर्ट सामने आने के बाद आयोग इस पूरे मसले पर कोई ठोस फैसला लेगा। साथ ही यह भी देखा जाएगा कि क्या स्कूल ने तय मानकों का पालन किया या नहीं। तब तक के लिए बच्चों और अभिभावकों की निगाहें आयोग के अगले कदम पर टिकी हैं।