नैनीताल:- नैनीताल की सुरम्य वादियों में स्थित कैंची धाम केवल एक मंदिर नहीं, बल्कि आस्था, चमत्कार और भक्ति का संगम है। हर साल 15 जून को यहाँ बाबा नीम करौली महाराज के द्वारा स्थापित मंदिर का स्थापना दिवस बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु बाबा के दर्शन के लिए यहाँ पहुँचते हैं।
इस पावन अवसर की विशेषता है — मालपुआ का प्रसाद, जो बाबा नीम करौली महाराज की कृपा और चमत्कार से जुड़ा हुआ है।
मालपुए का चमत्कारी इतिहास
कहानी है कि एक बार जब स्थापना दिवस के दिन प्रसाद बन रहा था, तो मालपुआ के लिए घी की कमी हो गई। भक्तों की चिंता देख बाबा मुस्कराए और बोले –
घी की आवश्यकता नहीं, नदी से एक बाल्टी पानी लेकर आओ और कढ़ाई में डाल दो।
भक्तों ने वैसा ही किया — और जैसे ही पानी कढ़ाई में डाला गया, वह घी में बदल गया।
तभी से बाबा के मंदिर में मालपुआ प्रसाद देने की परंपरा शुरू हुई।
कठोर नियम, दिव्य प्रसाद
यह प्रसाद कोई सामान्य मिठाई नहीं, बल्कि बाबा का आशीर्वाद माना जाता है।
मालपुआ बनाने के लिए शुद्ध देसी घी का उपयोग किया जाता है, और केवल वही भक्त इसे बना सकते हैं:
जो व्रत में हों
धोती-कुर्ता पहने हों
और पूरी प्रक्रिया के दौरान हनुमान चालीसा का पाठ कर रहे हों।
इस प्रसाद में मालपुआ के साथ आलू की सब्ज़ी भी दी जाती है। वर्षों से यह व्यवस्था मंदिर समिति द्वारा भक्तों के लिए की जाती रही है।
देश-विदेश तक बाबा का प्रसाद
जो लोग स्वयं कैंची धाम नहीं पहुँच पाते, वे अपने परिजनों और मित्रों के माध्यम से यह दिव्य प्रसाद मंगवाते हैं। इस तरह यह प्रसाद देश और दुनिया के कोनों में श्रद्धा और भक्ति का संदेश लेकर पहुँचता है।
कैंची धाम का स्थापना दिवस केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि बाबा नीम करौली महाराज के चमत्कार, उनके प्रेम और प्रसाद की महत्ता का जीवंत अनुभव है।