उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों को लेकर आरक्षण सूची पर विवाद खड़ा हो गया है। प्रदेश के विभिन्न जिलों से बड़ी संख्या में आपत्तियां दर्ज की गई हैं। इस बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री नवप्रभात ने भी आरक्षण प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए इसे अधिकारों का हनन बताया है।
राज्य निर्वाचन आयोग के अनुसार, त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों के लिए संशोधित आरक्षण सूची 18 जून तक जारी की जाएगी। लेकिन इससे पहले ही संभावित प्रत्याशियों के साथ-साथ विपक्षी दलों ने भी मौजूदा आरक्षण व्यवस्था को लेकर गंभीर आपत्तियां जताई हैं। कांग्रेस ने इसे त्रुटिपूर्ण और मनमाना करार दिया है।
पूर्व मंत्री नवप्रभात ने कहा कि इस बार के पंचायत चुनावों में 2011 की जनगणना को आधार बनाया गया है, जबकि पहले से निर्धारित आरक्षण व्यवस्था में अचानक बदलाव नहीं किया जाना चाहिए था। उन्होंने विकासनगर विकासखंड की पंचायतों का उदाहरण देते हुए कहा कि यहां अनुसूचित जनजाति (एसटी) की सीटों की संख्या बढ़ा दी गई है, जबकि अनुसूचित जाति (एससी) और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की सीटें घटा दी गई हैं।
नवप्रभात ने आरोप लगाया कि सरकार ने आरक्षण निर्धारण में पारदर्शिता नहीं बरती और यह बदलाव कई पंचायतों की राजनीतिक संरचना को प्रभावित कर सकता है। उन्होंने इसे लोकतांत्रिक अधिकारों के साथ अन्याय बताया और सरकार से मांग की कि आरक्षण व्यवस्था को पुनः विचार कर निष्पक्ष बनाया जाए।