
नैनीताल: उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर आरक्षण रोस्टर निर्धारण के खिलाफ दायर याचिकाओं पर हाईकोर्ट में बुधवार को भी सुनवाई जारी रही। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ में मामले की सुनवाई हुई।
सरकार की ओर से महाधिवक्ता एस.एन. बाबुलकर और मुख्य स्थायी अधिवक्ता ने अदालत के समक्ष 9 जून को जारी रूल्स और 14 जून को गजट में प्रकाशित आरक्षण रोस्टर को सही ठहराने के लिए विस्तृत तर्क रखे। उन्होंने कहा कि पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट के आधार पर रोस्टर को शून्य घोषित करना ही एकमात्र विकल्प था।
दोपहर 1 बजे सरकार की ओर से आरक्षण रोस्टर का विस्तृत ब्यौरा अदालत में प्रस्तुत किया गया। इस पर याचिकाकर्ताओं ने अध्ययन के लिए अतिरिक्त समय की मांग की। अदालत ने उनकी मांग को स्वीकार करते हुए अगली सुनवाई की तिथि 27 जून (शुक्रवार) निर्धारित की है।
इस बीच याचिकाकर्ता अधिवक्ता योगेश पचौलिया ने अदालत को अवगत कराया कि राज्य सरकार ने आरक्षण के मुद्दे पर गठित समर्पित एकल आयोग की रिपोर्ट को आज तक सार्वजनिक नहीं किया है, जबकि यह रिपोर्ट सार्वजनिक डोमेन में होनी चाहिए थी। उन्होंने इसे पारदर्शिता के विरुद्ध बताया।
कल होगी निर्णायक बहस की उम्मीद
अब अदालत इस पूरे मामले की अगली सुनवाई 27 जून को करेगी, जहां याचिकाकर्ता सरकार के प्रस्तुत रोस्टर पर अपना पक्ष रखेंगे। मामले की संवेदनशीलता और चुनावों से जुड़ा महत्व देखते हुए यह सुनवाई निर्णायक मानी जा रही है।