देहरादून: उत्तराखंड में पंचायत चुनावों को लेकर उपजा असमंजस अब समाप्त हो गया है। नैनीताल हाईकोर्ट ने शुक्रवार, 27 जून को त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों पर लगी रोक हटा दी है। कोर्ट के इस फैसले से सरकार, निर्वाचन आयोग और प्रत्याशियों ने राहत की सांस ली है। अब 12 जिलों में चुनाव कराने का रास्ता साफ हो गया है। प्रदेश के 12 जिलों में वर्ष 2019 में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव हुए थे, जिनका कार्यकाल 2024 में समाप्त हो गया। सरकार को तय समय से पहले चुनाव घोषित करने थे, लेकिन चुनाव कराने के बजाय पंचायतों को प्रशासकों के हवाले कर दिया गया।
पहले छह महीने का कार्यकाल पूरा होने के बाद भी सरकार चुनाव नहीं करा सकी, और पुनः दो माह के लिए प्रशासकों की नियुक्ति कर दी गई। इस बीच आरक्षण व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए हाईकोर्ट में याचिकाएं दाखिल हुईं, जिसके चलते चुनावों पर कोर्ट ने रोक लगा दी थी।
हाईकोर्ट का फैसला और आगे की राह:
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने 27 जून को सुनवाई करते हुए चुनावों पर लगी रोक को हटा दिया। कोर्ट ने सरकार से तीन सप्ताह में जवाब दाखिल करने को कहा है और निर्वाचन आयोग को पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार चुनाव कराने की अनुमति दी है।
पंचायती राज सचिव चंद्रेश यादव ने कहा कि अब चुनाव आयोग जल्द ही नए कार्यक्रम की अधिसूचना जारी करेगा और सरकार जुलाई महीने में चुनाव प्रक्रिया पूरी करने के लिए प्रतिबद्ध है।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने कहा कि पार्टी कोर्ट के फैसले का स्वागत करती है। उन्होंने दावा किया कि यह फैसला सरकार के विधिसम्मत निर्णयों की पुष्टि करता है। भाजपा अब पूरी तरह से चुनावी तैयारियों में जुट गई है।
राज्य निर्वाचन आयोग संभवत 27 जून की शाम तक या 28 जून को पंचायत चुनावों का नया कार्यक्रम जारी कर देगा। सभी विभागों को चुनाव संचालन की तैयारियों में जुटने के निर्देश दिए जा चुके हैं।