
हल्द्वानी की एक कॉलोनी, रामड़ी आनसिंह। सालों पहले यहां एक सेना के जवान ने अपनी पत्नी के नाम पर एक छोटा सा प्लॉट खरीदा था कुल 1900 वर्गफुट। कश्मीर बॉर्डर पर तैनात उस जवान को इस ज़मीन से उम्मीद थी कि एक दिन वो यहां घर बनाएगा, मां-बाप को साथ रखेगा, और शायद रिटायरमेंट के बाद यहीं बस जाएगा।
लेकिन इस बार जब वो छुट्टी में घर आया, तो ज़मीन पर किसी और की तारबंदी थी। जब तहकीकात शुरू की, तो जो सच सामने आया उसने न सिर्फ उसे, बल्कि पूरे सिस्टम को हिलाकर रख दिया। पता चला कि जिस ज़मीन की उसने रजिस्ट्री कराई थी, वो असल में एक सरकारी सड़क है।
और यहीं नहीं रुका मामला। वही सड़क टुकड़ों में काटकर नौ और लोगों को भी रिहायशी प्लॉट के नाम पर बेच दी गई थी। यानि कि एक सरकारी रास्ता, जिस पर कभी पैदल लोग चला करते थे, उसे कागज़ों में मोड़कर प्रॉपर्टी बना दिया गया और बेच डाला गया।
इस पूरे मामले का खुलासा जवान ने कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत की जनसुनवाई में किया। जिस संजीदगी से उसने अपनी बात रखी, वो सुनकर हर कोई चौंक गया। कमिश्नर ने तुरंत कार्रवाई के आदेश दिए और अब मुखानी थाना पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।