
देहरादून: भारत निर्वाचन आयोग के दिशा-निर्देशों के तहत उत्तराखंड में निष्क्रिय राजनीतिक दलों पर शिकंजा कसना शुरू हो गया है। मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय ने प्रदेश में सक्रिय 6 पंजीकृत लेकिन अमान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को नोटिस जारी कर जवाब-तलब किया है।
इन दलों की गतिविधियों को लेकर लंबे समय से चुप्पी बनी हुई थी। पिछले छह वर्षों से न तो इन्होंने किसी चुनाव में हिस्सा लिया और न ही कोई संगठनात्मक गतिविधि दिखी। ऐसे में चुनाव आयोग ने इन दलों के अस्तित्व पर सवाल खड़े किए हैं। मुख्य निर्वाचन कार्यालय ने इन दलों को अंतिम मौका देते हुए 21 जुलाई की शाम 5 बजे तक अपना पक्ष रखने को कहा है। यदि तय समय सीमा तक संतोषजनक जवाब नहीं मिला, तो इन दलों को पंजीकृत सूची से हटाने की सिफारिश की जाएगी।
भारत में राजनीतिक दलों का पंजीकरण लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 29A के अंतर्गत होता है। इसके तहत दलों को सक्रिय बने रहना जरूरी होता है। लेकिन उत्तराखंड में मौजूद 42 पंजीकृत अमान्यता प्राप्त दलों में से कई आवश्यक शर्तों को पूरा नहीं कर पा रहे हैं।n चिह्नित किए गए 6 दलों को संभावित “डीलिस्टिंग” की प्रक्रिया का सामना करना पड़ सकता है। अंतिम निर्णय निर्वाचन आयोग दिल्ली द्वारा लिया जाएगा।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम राजनीतिक व्यवस्था में पारदर्शिता और जिम्मेदारी को बढ़ावा देने की दिशा में एक सकारात्मक पहल है। निष्क्रिय दलों को सूची से हटाना सिर्फ आंकड़ों की सफाई नहीं बल्कि लोकतंत्र को चुस्त-दुरुस्त बनाए रखने का संकेत भी है।