
देहरादून/नैनीताल – सैनिक स्कूल घोड़ाखाल के कैडेट्स के लिए 21 जुलाई का दिन बेहद खास बन गया, जब भारतीय वायुसेना के वरिष्ठ अधिकारी एयर मार्शल सुनील काशीनाथ विधाते (AVSM, YSM, VM) का आगमन हुआ। भव्य स्वागत समारोह में कैडेट्स ने गार्ड ऑफ ऑनर और प्रभावशाली बैंड प्रदर्शन के ज़रिए उनका अभिवादन किया।
सैनिक स्कूल सतारा के पूर्व छात्र रहे एयर मार्शल विधाते 1987 में भारतीय वायुसेना में फाइटर पायलट के रूप में शामिल हुए थे और तब से देश की सेवा में समर्पित हैं।
स्कूल परिसर में आयोजित कार्यक्रम में प्रधानाचार्य ग्रुप कैप्टन विजय सिंह डंगवाल ने उनका औपचारिक स्वागत किया और स्कूल के विकास कार्यों पर प्रस्तुति दी। एयर मार्शल ने अपने प्रेरणादायक भाषण में कैडेट्स से कहा:
“सफलता संघर्ष मांगती है, लेकिन असफलताओं को स्वीकार कर उनसे सीखना ही असली ताकत है।”
उन्होंने रक्षा सेवाओं में करियर की तैयारी कर रहे छात्रों को समर्पण और अनुशासन का मंत्र दिया। कार्यक्रम के दौरान एकेडमिक कप्तानों को उन्होंने स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया।

कार्यक्रम में घोड़ाखाल की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि भी चर्चा का विषय बनी। 1857 की क्रांति के दौर में एक ब्रिटिश अफसर के घोड़े की आकस्मिक मृत्यु के बाद इस स्थान को “घोड़ाखाल” कहा जाने लगा। यहां ‘खाल’ का अर्थ कुमाऊंनी भाषा में ‘तालाब’ होता है।
यह संपत्ति कभी रामपुर के नवाब हामिद अली के पास थी, जिसे 1964 में उत्तर प्रदेश सरकार ने अधिग्रहित किया। उसके बाद 21 मार्च 1966 को सैनिक स्कूल की स्थापना हुई।
कैडेट्स में जोश और संकल्प
इस मौके पर लेफ्टिनेंट कर्नल मनीष श्रीवास्तव (रक्षा जनसंपर्क अधिकारी) ने कहा:
“ऐसे दौरों से कैडेट्स को नई ऊर्जा मिलती है और लक्ष्य के प्रति उनकी प्रतिबद्धता और भी मजबूत होती है।”
एयर मार्शल को स्कूल की ओर से भी स्मृति चिह्न भेंट किया गया। उनका यह दौरा न केवल छात्रों के लिए प्रेरणा बना, बल्कि रक्षा सेवा के मूल्यों को और गहराई से समझने का अवसर भी।