उत्तराखंड जनता टाइम्स-न्यूज़ डेस्क.
भारत| भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc), बेंगलुरु की प्रोफेसर डॉ. जी. माधवी लता इन दिनों पूरे देश में गर्व और प्रशंसा का विषय बनी हुई हैं। उन्होंने 17 वर्षों तक लगातार परामर्श देकर जम्मू-कश्मीर में दुनिया के सबसे ऊंचे रेलवे पुल चिनाब ब्रिज को वास्तविकता में बदलने में अहम भूमिका निभाई। इस अभूतपूर्व इंजीनियरिंग उपलब्धि का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 6 जून को किया।
यह पुल भारत की सबसे महत्वाकांक्षी रेल परियोजनाओं में से एक – उधमपुर-श्रीनगर-बारामुल्ला रेलवे लिंक (USBRL) का हिस्सा है, जो कश्मीर को पहली बार रेलमार्ग से देश के अन्य हिस्सों से जोड़ेगा।

17 सालों की लगन और विशेषज्ञता:-
भू-तकनीकी (Geotechnical) क्षेत्र की विशेषज्ञ प्रो. माधवी लता ने इस प्रोजेक्ट में बतौर सलाहकार एफकॉन्स (Afcons Infrastructure Ltd.) के साथ मिलकर कार्य किया।
चिनाब ब्रिज की खासियतें:
ऊंचाई: 359 मीटर (एफिल टॉवर से भी ऊंचा)
लंबाई: 1,315 मीटर
संरचना: स्टील आर्च, जो भूकंप और तेज हवाओं का सामना करने में सक्षम है

भारतीय बेटी पर गर्व:-
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने इस सफलता पर प्रो. माधवी लता को बधाई दी। उन्होंने ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा:
एक और तेलुगु बेटी ने भारत को गौरवान्वित किया है। प्रो. जी. माधवी लता गारू को सलाम, जिन्होंने चिनाब नदी पर दुनिया के सबसे ऊंचे रेलवे पुल के निर्माण में 17 वर्षों तक योगदान दिया।
चिनाब ब्रिज जम्मू-कश्मीर के विकास की एक नई दिशा तय करेगा। इसके माध्यम से न केवल क्षेत्रीय कनेक्टिविटी बढ़ेगी, बल्कि अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पुल के उद्घाटन के साथ-साथ कटरा-श्रीनगर वंदे भारत एक्सप्रेस को भी हरी झंडी दिखाई, जिससे यात्रा का समय 2–3 घंटे तक कम हो जाएगा।
प्रो. माधवी लता का यह योगदान इस बात का प्रमाण है कि भारतीय महिलाएं विज्ञान, तकनीक और राष्ट्र निर्माण में निर्णायक भूमिका निभा रही हैं। उनकी यह यात्रा न सिर्फ एक प्रोजेक्ट की सफलता है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत भी है।