नैनीताल: पॉक्सो एक्ट एवं दुष्कर्म के गंभीर आरोपों का सामना कर रहे लालकुआं दुग्ध संघ अध्यक्ष मुकेश सिंह बोरा को हाईकोर्ट से जमानत मिल गई है। न्यायालय ने कुछ सख्त शर्तों के साथ उनकी जमानत मंजूर की। मुकेश बोरा पिछले डेढ़ साल से न्यायिक हिरासत में जेल में थे।
क्या है मामला?
लालकुआं थाने में दर्ज प्राथमिकी के अनुसार, पीड़िता, जो एक विधवा महिला है, 2021 में नौकरी की तलाश में थी। इसी दौरान उसने लालकुआं स्थित नैनीताल दुग्ध संघ में नौकरी पाने के लिए मुकेश सिंह बोरा से संपर्क किया, जो संघ के अध्यक्ष हैं।
आरोप है कि 10 नवंबर 2021 को आरोपी ने महिला को स्थायी नौकरी का झांसा देकर काठगोदाम के एक होटल में बुलाया और वहां दुष्कर्म किया। इतना ही नहीं, आरोपी ने इस घटना के आपत्तिजनक फोटो और वीडियो बना लिए और धमकी दी कि यदि उसने किसी को बताया तो वीडियो वायरल कर देगा और उसकी नौकरी भी छिन जाएगी।
महिला ने यह भी आरोप लगाया कि 26 दिसंबर 2021 को आरोपी ने फिर से होटल में बुलाकर उसके साथ दुष्कर्म किया। इसके अलावा, अपने दोस्तों के साथ शारीरिक संबंध बनाने का दबाव भी डाला, लेकिन जब महिला ने मना कर दिया तो उसके ड्राइवर ने उसे जान से मारने की धमकी दी।
पीड़िता का आरोप है कि अभियुक्त ने उसकी नाबालिग बेटी का भी यौन उत्पीड़न किया, जिसके चलते पॉक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया।
अभियोजन और बचाव पक्ष की दलीलें
बचाव पक्ष:
- आरोपी के वकील ने दलील दी कि एफआईआर में काफी देरी हुई, क्योंकि कथित घटनाएं 2021 की हैं, जबकि मामला सितंबर 2024 में दर्ज हुआ।
- बचाव पक्ष ने यह भी तर्क दिया कि पीड़िता के बयान बार-बार बदले गए, जिससे मामले की सत्यता पर सवाल उठता है।
अभियोजन पक्ष:
- राज्य के उप महाधिवक्ता ने जमानत का विरोध करते हुए कहा कि मामले में पर्याप्त साक्ष्य उपलब्ध हैं।
- अभियुक्त ने जांच में सहयोग नहीं किया, जिससे मामले की गंभीरता बढ़ जाती है।
हाईकोर्ट का फैसला
सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद, हाईकोर्ट ने मुकेश सिंह बोरा को सख्त शर्तों के साथ जमानत दी।
जमानत की शर्तें:
अभियुक्त जांच एजेंसियों के साथ पूरा सहयोग करेगा और जरूरत पड़ने पर पेश होगा।
अभियुक्त पीड़िता या उसकी नाबालिग बेटी को किसी भी तरह से प्रभावित करने की कोशिश नहीं करेगा।
अभियुक्त बिना अनुमति देश नहीं छोड़ सकेगा।
यदि अभियुक्त के पास पासपोर्ट है, तो उसे न्यायालय में जमा करना होगा।
इस फैसले के बाद मुकेश सिंह बोरा को व्यक्तिगत मुचलके एवं दो विश्वसनीय जमानतदारों की गारंटी पर रिहा किया जाएगा। हालांकि, मामला संवेदनशील होने के कारण कोर्ट द्वारा तय की गई शर्तों का सख्ती से पालन जरूरी होगा।