नैनीताल: विश्वप्रसिद्ध नैनीझील के पारिस्थितिकी तंत्र को बेहतर बनाने की दिशा में पंतनगर विश्वविद्यालय की पहल रंग ला रही है। विश्वविद्यालय के मत्स्य विभाग ने शुक्रवार को झील में 20,000 मछलियों के बीज प्रवाहित किए। इसमें गोल्डन महाशीर, सिल्वर कार्प, चौगुनिया और काल रोहू जैसी प्रजातियां शामिल हैं।
मत्स्य विज्ञान विभाग के विशेषज्ञों ने झील के जल की गुणवत्ता की जांच कर इसे मछलियों के अनुकूल बताया। विभागाध्यक्ष डॉ. आशुतोष मिश्रा, डीन प्रो. अवधेश कुमार, जिला विकास प्राधिकरण के जे.ई. विपिन कुमार और एरिएशन प्रोजेक्ट से जुड़े आनंद कोरंगा की टीम ने फांसी गधेरे क्षेत्र में पहुंचकर झील की सतही व तलहटी ऑक्सीजन का स्तर मापा। उन्होंने बताया कि सतह पर 5 एमजी और तलहटी में 3 एमजी ऑक्सीजन पाई गई, जो मछलियों के जीवन के लिए पर्याप्त है।
डॉ. मिश्रा ने बताया कि पिछले निरीक्षण में झील की पारदर्शिता डेढ़ मीटर थी, जो अब काफी बढ़ चुकी है। इसके अलावा, झील में एल्गी की मात्रा भी नियंत्रित हो रही है, जिससे जल की गुणवत्ता में सुधार आया है।
इस बार झील में 4,000 गोल्डन महाशीर, 1,000 चौगुनिया और काल रोहू तथा 15,000 सिल्वर कार्प के बीज छोड़े गए। इससे पहले झील से गंबूचिया, पुण्टिस और बिग हैड जैसी मछलियों को बाहर निकाला गया था।
विशेषज्ञों का कहना है कि झील का पानी भले ही पीने योग्य न हो, लेकिन मछली पालन की दृष्टि से अब बेहतर स्थिति में है। इस तरह की वैज्ञानिक पहल से झील का पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने में मदद मिलेगी।