
उत्तराखंड: उत्तराखंड में इस बार पंचायत चुनाव समय पर कराना सरकार के लिए बड़ी चुनौती बनता जा रहा है। एक तरफ चारधाम यात्रा की शुरुआत नजदीक है, तो दूसरी तरफ ओबीसी आरक्षण को लेकर अब तक अध्यादेश नहीं लाया गया है। सरकार ने मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में भी ओबीसी आरक्षण से जुड़ा कोई प्रस्ताव नहीं रखा, जिससे स्थिति और उलझती जा रही है। पंचायत चुनावों से पहले पंचायत एक्ट में संशोधन जरूरी है, जिसके बाद शासनादेश जारी होगा और आरक्षण की प्रतिशत दर तय की जाएगी। फिर आरक्षण की प्रारंभिक सूची प्रकाशित कर आपत्तियाँ मांगी जाएंगी। इन आपत्तियों की सुनवाई और निपटारे के बाद ही चुनाव की अधिसूचना जारी हो सकेगी।
इस पूरी प्रक्रिया में अच्छा-खासा समय लगना तय है, जबकि इसी दौरान प्रदेश में चारधाम यात्रा भी शुरू हो रही है। यात्रा में भारी संख्या में श्रद्धालुओं के आने की संभावना को देखते हुए प्रशासनिक मशीनरी का एक बड़ा हिस्सा उसकी तैयारियों में जुटेगा। ऐसे में पंचायत चुनावों के लिए प्रशासनिक व्यवस्था तैयार करना आसान नहीं रहेगा।
प्रदेश के 13 में से 12 जिलों में पंचायत चुनाव होने हैं, जबकि हरिद्वार में पहले ही चुनाव हो चुके हैं। लेकिन इन 12 जिलों में नियुक्त जिला पंचायत प्रशासकों का कार्यकाल एक जून को समाप्त हो रहा है। वर्तमान स्थिति को देखते हुए यह लगभग तय माना जा रहा है कि चुनाव समय पर कराना मुश्किल होगा और सरकार को प्रशासकों का कार्यकाल आगे बढ़ाना पड़ सकता है।
हालांकि पंचायतीराज विभाग के सचिव चंद्रेश कुमार का कहना है कि विभाग की ओर से चुनाव की तैयारियां जारी हैं और उन्हें चुनाव प्रक्रिया के लिए 28 दिन चाहिए, जो अभी उपलब्ध हैं। वहीं, राज्य निर्वाचन आयुक्त सुशील कुमार ने बताया कि आयोग को ओबीसी आरक्षण की सूची अभी तक नहीं मिली है। जैसे ही यह मिलती है, चुनाव की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी।