
देहरादून: उत्तराखंड मे शिक्षा व्यवस्था की हकीकत एक बार फिर सवालों के घेरे मे है। खासतौर पर मौनसून के सीजन मे पहाड़ी इलाकों मे स्कूल की हालत बड़ी खराब हो जाती है, कही छते टपकती है कही दीवारे गिरती है, ऐसे मे बच्चो की जान भी खतरे मे रहती है, इसी गंभीर स्तिथि को देखते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सभी सरकारी स्कूल भवनो का सुरक्षा आडिट करने के निर्देश दिये है ।
शुक्रवार को मुख्यमंत्री आवास मे हुई एक उच्च स्तरीय बैठक मे सीएम ने कहा की बच्चो की सुरक्षा से कोई लापरवाही नहीं चलेगी, उन्होंने अधिकारियों को कहा की जिन भी स्कूल भवानो की हालत खराब है उन्हे सुधारा जाए, और जहा नये निर्माण की जरूरत है उसे भी कराया जायेगा।
आंकड़े खोल रहे हैं पोल
शिक्षा विभाग के 2024-25 के आंकड़े राज्य सरकार के दावों की पोल खोलते हैं।
राज्य में कुल 15,873 सरकारी स्कूल हैं।
इनमें से 2,210 स्कूल जीर्ण-शीर्ण हालत में हैं।
3,691 स्कूलों में बाउंड्री वॉल तक नहीं है।
547 स्कूलों में लड़कों के लिए शौचालय नहीं है, जबकि
361 स्कूलों में लड़कियों के लिए शौचालय नहीं है।
और 130 स्कूलों में पीने के पानी की सुविधा तक मौजूद नहीं है।
सरकार भले ही स्कूलों की स्थिति सुधरने का दावा करे, लेकिन यह आंकड़े ज़मीनी हकीकत बयान कर रहे हैं,
वही अब राज्य मे बने सभी पुलो की भी सुरक्षा ऑडिट करने के आदेश दिये है, इस पर उन्होंने कहा है कि सभी जर्ज़र हालत मे पड़े पुलो की मरम्मत की जाए, साथ ही उनकी नियमित रूप से निगरानी की जाये।
बैठक में सीएम धामी ने यह भी कहा कि त्रियुगीनारायण समेत अन्य स्थानों को वेडिंग डेस्टिनेशन के रूप में विकसित करने की प्रक्रिया में तेजी लाई जाए। यह कदम पर्यटन और स्थानीय रोजगार को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण है। सीएम ने इन परियोजनाओं में गुणवत्ता, सुविधा और सांस्कृतिक गरिमा बनाए रखने के भी निर्देश दिए। साथ ही अन्य राज्यों की वेडिंग पॉलिसी का अध्ययन कर उत्तराखंड की अपनी एक प्रभावी नीति बनाने पर जोर दिया।