
नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने राज्य में मानसून के दौरान हो रहे त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। याचिका में मांग की गई थी कि भारी बारिश, कांवड़ यात्रा और चारधाम यात्रा के बीच चल रही प्रशासनिक गतिविधियों को देखते हुए पंचायत चुनाव अगस्त के बाद कराए जाएं। इस पर कोर्ट ने पुलिस विभाग से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। मामले पर अगली सुनवाई बुधवार, 16 जुलाई को होगी।
सुनवाई के दौरान डीजीपी उत्तराखंड और सचिव पंचायतीराज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अदालत में उपस्थित हुए। दोनों अधिकारियों ने हाईकोर्ट को अवगत कराया कि राज्य में चुनाव प्रक्रिया और कांवड़ यात्रा दोनों सुचारू रूप से संचालित हो रहे हैं। डीजीपी ने बताया कि कांवड़ मेले में 30% पुलिस बल लगाया गया है, जबकि 10% बल चारधाम यात्रा और 10% पंचायत चुनाव के लिए आरक्षित रखा गया है। साथ ही किसी भी आकस्मिक स्थिति से निपटने के लिए अतिरिक्त फोर्स भी तैयार रखी गई है।
राज्य निर्वाचन आयोग ने अदालत को बताया कि उन्हें चुनाव कराने में कोई विशेष चुनौती नहीं आ रही है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि जिन जिलों में कांवड़ यात्रा का असर है, वहां चुनाव को दूसरे चरण में रखा गया है। सचिव पंचायतीराज ने कहा कि पहला जत्था चुनाव तिथि से पहले वापस लौट जाएगा, जिससे कोई टकराव नहीं होगा।
डीजीपी ने हाईकोर्ट को सूचित किया कि कांवड़ यात्रा के दौरान महिलाओं के साथ बदसलूकी, दुकानदारों से झगड़े और तेज़ डीजे बजाने जैसी घटनाओं में एफआईआर दर्ज की गई है। इस पर कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिए कि इस संबंध में रिपोर्ट 16 जुलाई को अदालत में प्रस्तुत की जाए।
गौरतलब है कि देहरादून निवासी डॉ. बैजनाथ की ओर से दायर जनहित याचिका में कहा गया है कि वर्तमान समय में प्रदेश पर तीनतरफा दबाव है — पंचायत चुनाव, कांवड़ यात्रा और बरसात की मार। उन्होंने कहा कि प्रशासन और एसडीआरएफ की टीमें राहत-बचाव कार्यों में व्यस्त हैं, ऐसे में चुनाव कराना जोखिम भरा हो सकता है। उन्होंने चुनावों को अगस्त के बाद टालने की मांग की है।