
देहरादून: कांवड़ यात्रा 2025 से पहले उत्तराखंड प्रशासन एक्शन मोड में आ गया है। इस बार यात्रा मार्ग पर आने वाले सभी ढाबों, ठेलों, रेहड़ी-पटरी वालों और रेस्टोरेंट्स के लिए नियमों का पालन करना अनिवार्य कर दिया गया है। सभी दुकानदारों को फूड लाइसेंस, रजिस्ट्रेशन प्रमाणपत्र और पहचान पत्र अपनी दुकानों पर स्पष्ट रूप से चस्पा करना होगा।
स्वास्थ्य सचिव आर. राजेश कुमार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के मुताबिक, दुकानों में फूड सेफ्टी डिस्प्ले बोर्ड लगाना भी जरूरी होगा ताकि यह पता चल सके कि भोजन की गुणवत्ता की जिम्मेदारी किसकी है। नियम तोड़ने वालों पर फूड सेफ्टी एक्ट 2006 की धारा 55 के तहत 2 लाख रुपये तक जुर्माना लगाया जा सकता है।
हरिद्वार, देहरादून, पौड़ी, टिहरी और उत्तरकाशी जिलों में खाद्य सुरक्षा अधिकारियों की टीमें तैनात की गई हैं। ये टीमें यात्रा मार्ग पर लगे पंडालों, भंडारों, दुकानों और भोजनालयों से नियमित रूप से दूध, तेल, मसाले, मिठाई और अन्य खाद्य सामग्री के सैंपल लेंगी। यदि कोई सैंपल मानकों पर खरा नहीं उतरता, तो उस स्थल को तुरंत बंद कर दिया जाएगा।
लोग अब किसी भी मिलावटी या खराब खाद्य सामग्री को लेकर टोल फ्री नंबर 18001804246 पर शिकायत कर सकते हैं। शिकायत मिलने पर टीमें मौके पर जाकर तत्काल कार्रवाई करेंगी। सभी जिलों से रोजाना की गई कार्रवाई की रिपोर्ट शासन को भेजी जाएगी।
सरकार ने जानकारी, शिक्षा और संचार (IEC) के ज़रिए बैनर, पोस्टर, पर्चे और सोशल मीडिया के माध्यम से जनता और दुकानदारों को खाद्य नियमों और उपभोक्ता अधिकारों के बारे में जागरूक करने की योजना बनाई है।
गौरतलब है कि साल 2024 में इसी तरह के आदेश उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में जारी किए गए थे, लेकिन उस पर सुप्रीम कोर्ट ने आंशिक रोक लगा दी थी। कोर्ट ने कहा था कि खाना बेचने वालों से खाने की गुणवत्ता का विवरण मांगा जा सकता है, लेकिन उनसे मालिक या स्टाफ का नाम सार्वजनिक करने की बाध्यता नहीं हो सकती।