
भीमताल: उत्तराखंड के प्रमुख पर्यटन स्थलों में शामिल भीमताल और नौकुचियाताल क्षेत्र हर वर्ष बारिश के मौसम में जलभराव और सड़कों पर मलबा जमा होने की समस्या से जूझते हैं। इससे न केवल स्थानीय लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है, बल्कि इन क्षेत्रों में आने वाले पर्यटकों की सुरक्षा और अनुभव पर भी प्रतिकूल असर पड़ता है। सामाजिक कार्यकर्ता पूरन बृजवासी ने इस गंभीर समस्या को लेकर जिलाधिकारी वंदना सिंह से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है।
बृजवासी का कहना है कि क्षेत्र में जल निकासी की व्यवस्था अत्यंत कमजोर है, जिससे बारिश का पानी सड़कों पर भर जाता है और रेत-मलबा जमा हो जाता है। इससे दोपहिया वाहन चालकों को फिसलने का खतरा बना रहता है, वहीं लाखों रुपये की लागत से बनी सड़कों का डामर भी बहता जा रहा है। क्षेत्र की प्राकृतिक सुंदरता भी इससे प्रभावित हो रही है।
बृजवासी ने बताया कि वह वर्ष 2016-17 से इस समस्या को लेकर लगातार लोक निर्माण विभाग, सिडकुल, सिंचाई विभाग, नगर पालिका और जिला प्रशासन से संपर्क में हैं। अब तक दर्जनों पत्राचार और ज्ञापन सौंपे जा चुके हैं, लेकिन कोई दीर्घकालिक समाधान नहीं निकाला गया। विभागों द्वारा अब तक केवल अस्थायी व्यवस्थाओं के भरोसे काम चलाया जा रहा है।
विशेष रूप से सिडकुल क्षेत्र, कुआंताल और ब्लॉक रोड जैसे इलाकों में जल निकासी की गंभीर समस्या है, जहां बारिश के दौरान घरों तक पानी घुस जाता है। बृजवासी ने विभागों की लापरवाही को दुर्भाग्यपूर्ण बताया और कहा कि यदि समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए गए तो यह समस्या और विकराल रूप ले सकती है।
पूरन बृजवासी और क्षेत्र की जनता ने जिलाधिकारी से आग्रह किया है कि सभी वार्डों और प्रभावित क्षेत्रों का स्थलीय निरीक्षण कर समस्याग्रस्त बिंदुओं को चिन्हित किया जाएड्रेनेज सिस्टम को दुरुस्त करने के लिए विशेष योजना बनाई जाए, सड़कों के किनारे नालियों का निर्माण कर डामर की क्षति को रोका जाए, रेत और कीचड़ की समय-समय पर सफाई सुनिश्चित की जाए, संबंधित विभागों के बीच बेहतर समन्वय स्थापित कर संयुक्त कार्य योजना बनाई जाए।
बृजवासी ने सुझाव दिया कि ‘जल शक्ति अभियान’ जैसे केंद्र सरकार के कार्यक्रमों के अंतर्गत भीमताल और नौकुचियाताल में वर्षा जल संचयन की व्यवस्था की जा सकती है, जिससे जलभराव की समस्या में कमी लाई जा सके और भूजल संरक्षण को भी बढ़ावा मिले।
भीमताल और नौकुचियाताल की सुंदरता और पर्यटन महत्व को बनाए रखने के लिए जलभराव और ड्रेनेज की समस्याओं का स्थायी समाधान अब अत्यंत आवश्यक हो गया है। सामाजिक कार्यकर्ता पूरन बृजवासी के निरंतर प्रयासों के बावजूद विभागीय निष्क्रियता चिंता का विषय है। ऐसे में जिलाधिकारी से अपेक्षा की जा रही है कि वे शीघ्र हस्तक्षेप कर ठोस कार्यवाही के निर्देश दें, जिससे न केवल स्थानीय जनता को राहत मिले, बल्कि उत्तराखंड के पर्यटन को भी नई मजबूती मिल सके।