
विज्ञान सदियों से शिव के अस्तित्व को समझने का प्रयास करता रहा है। जब भौतिकता का मोह समाप्त होता है और इंद्रियां मौन हो जाती हैं, तब शून्यता आकार लेती है और उस शून्यता से परे शिव का प्राकट्य होता है। महाशिवरात्रि, भगवान शिव के इस अलौकिक और एकात्म स्वरूप को श्रद्धा व भक्ति के साथ मनाने का पर्व है। इस वर्ष महाशिवरात्रि पर 60 साल बाद एक दुर्लभ संयोग बनने जा रहा है, जिसने श्रद्धालुओं में उत्साह की लहर दौड़ा दी है।
महाशिवरात्रि का आध्यात्मिक महत्व
ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास के अनुसार, महाशिवरात्रि हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह पर्व फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है। मान्यता है कि इसी दिन भगवान शिव ने ब्रह्मा के रुद्र रूप में अवतार लिया था और तांडव नृत्य कर अपनी तीसरी आंख खोली थी, जिससे सृष्टि का विनाश और पुनः सृजन संभव हुआ।
शिव विवाह और तांडव से जुड़ी मान्यताएं
महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव और माता पार्वती का पावन विवाह भी हुआ था। यह दिन शिव और शक्ति के मिलन का प्रतीक माना जाता है, जो सृष्टि के संतुलन को दर्शाता है। साथ ही, शिव के तांडव नृत्य को सृष्टि, स्थिति और संहार का द्योतक माना जाता है।
60 साल बाद बन रहा दुर्लभ संयोग
हिंदू पंचांग के अनुसार, महाशिवरात्रि 2025 में 26 फरवरी को मनाई जाएगी। इस दिन कुंभ राशि में सूर्य, बुध और शनि की त्रिग्रही युति बनेगी। इसके अलावा, चंद्रमा मकर राशि में होगा, जो 1965 के बाद पहली बार हो रहा है। ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार, यह संयोग शिव उपासना और मनोकामना पूर्ति के लिए अत्यंत शुभ माना जा रहा है।
शिव की कृपा पाने के विशेष उपाय
- शिवलिंग का अभिषेक: दूध, गंगाजल, शहद और बेलपत्र से शिवलिंग का अभिषेक करें।
- मंत्र जाप: “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का रुद्राक्ष माला से जाप करें।
- विशेष अर्पण: भगवान शिव को भांग, धतूरा और सफेद फूल अर्पित करें।
- व्रत एवं ध्यान: निर्जला व्रत रखकर शिव का ध्यान करें और रात्रि जागरण करें।
शिव पूजा में ध्यान रखने योग्य बातें
- शिवलिंग पर हल्दी, सिंदूर और लाल फूल न चढ़ाएं।
- स्टील या लोहे के बर्तन की जगह तांबे या पीतल के लोटे का प्रयोग करें।
- शंख से शिवलिंग पर जल चढ़ाना वर्जित है।
महाशिवरात्रि का पर्व केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह आत्मिक जागृति और शिवत्व को आत्मसात करने का अवसर भी है। इस दिव्य संयोग में की गई साधना से भक्तों को विशेष फल की प्राप्ति हो सकती है।