
उत्तराखंड: नैनीझील को अब नया जीवन देने की तैयारी शुरू हो गई है। झील में लगातार जमा होती गाद (सिल्ट) ने इसकी गहराई और जल संग्रहण क्षमता को काफी हद तक प्रभावित किया है। लेकिन अब सिंचाई विभाग ने इस समस्या का दीर्घकालिक हल खोजने के लिए वैज्ञानिक तरीका अपनाने का फैसला लिया है। सिंचाई विभाग ने आईआईटी रुड़की और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइड्रोलॉजी (NIH) से संपर्क किया है, जो यह पता लगाएंगी कि झील में कहां-कहां और कितनी मात्रा में सिल्ट जमा हो चुकी है। ये दोनों संस्थाएं मिलकर झील के हर कोने का अध्ययन करेंगी और फिर सिल्ट निकालने की डीपीआर (Detailed Project Report) तैयार करेंगी।
इस साल कम बारिश और बर्फबारी की वजह से नैनीझील का जलस्तर पिछले चार सालों में सबसे नीचे चला गया है। ऐसे में झील की गहराई बढ़ाना और उसके प्राकृतिक जलस्रोतों को पुनर्जीवित करना वक्त की जरूरत बन गया है।सिंचाई विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इस बार झील की सफाई वैज्ञानिक और व्यवस्थित तरीके से की जाएगी, जिससे झील को स्थायी रूप से फायदा हो। तब तक, इस महीने पानी का स्तर और नीचे जाते ही मैन्युअल सफाई कर डेल्टा (नालों के मुहानों पर जमी गाद) को हटाने का काम भी शुरू कर दिया जाएगा।
गौरतलब है कि 2015-16 में आखिरी बार झील से सिल्ट निकाली गई थी। उसके बाद 2017 में सिंचाई विभाग को झील की जिम्मेदारी सौंपी गई, लेकिन तब से लेकर अब तक कोई सफाई नहीं की गई थी।