
नैनीताल: उत्तराखंड में पंचायत चुनाव की सरगर्मियां तेज हैं। प्रदेश मे इस बार हरिद्वार को छोड़कर सभी बारह जिलों मे पंचायत चुनाव होने है, जिसमे से अभी नामांकन प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और अब नाम वापसी व जांच का कार्यक्रम शुरू हो गया है।
अब नाम वापसी के बाद ही स्पष्ट होगा कि किसे जनता का प्यार पाने का अवसर मिलेगा और किस उम्मीदवार को कौनसा उमीदवार देगा टक्कर. वहीं, नामांकन की आखिरी तारीख तक कई प्रत्याशी मैदान में डटे रहे लेकिन कुछ को आरक्षण के कारण से जोरदार झटका लगा।
सियासी गणित को आरक्षण का झटका
कई ऐसे बड़े दिग्गज नेता है, जो ब्लॉक प्रमुख या जिला पंचायत सदस्य के लिए तैयारी कर रहे थे, अब आरक्षित सीट की वजह से अपनी रणनीति को नए सिरे से गढ़ने पर मजबूर हैं। कुछ ने तो डमी उम्मीदवार उतार दिए हैं ताकि बाद में उन्हें अपनी रणनीति के अनुसार इस्तेमाल किया जा सके। बीजेपी और कांग्रेस जैसे बड़े राजनीतिक दलों को भी अपनी रणनीति में बदलाव करना पड़ रहा है। पार्टी पदाधिकारी अपने समर्थक प्रत्याशियों को चुनावी मैदान में बनाए रखने के लिए लगातार बैठकों और समीकरणों में जुटे हैं।
कुछ ग्राम सभाओं में सहमति से निर्विरोध चुने गए प्रधान और सदस्य अब असहज स्थिति में हैं, क्योंकि अंतिम दिन अन्य उम्मीदवारों ने नामांकन दाखिल कर इस सहमति को चुनौती दे दी है। ऐसे में अब फिर से बैठकों का दौर तेज हो गया है ताकि गांव में आपसी सहमति कायम रह सके।