नैनीताल: इन दिनों पर्यटन सीजन अपने चरम पर है, लेकिन यातायात व्यवस्था इस भीड़ के आगे बेबस नज़र आ रही है। प्रशासन द्वारा वाहनों की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पार्किंग शुल्क 500 रुपये तय किया गया था, उम्मीद थी कि इससे वाहन कम आएंगे और ट्रैफिक का दबाव घटेगा। लेकिन इस रणनीति का असर सड़कों पर बिल्कुल नहीं दिखा।
सप्ताहांत पर शहर की ओर आने वाले सभी रास्तों पर वाहनों की लंबी कतारें लगी रहीं। बल्दियाखान, तल्लीताल, मल्लीताल और रूसी बाईपास जैसे मुख्य मार्गों पर वाहन दो से तीन किलोमीटर तक रेंगते नजर आए। कई पर्यटक जाम से तंग आकर अपने वाहन वहीं छोड़कर पैदल नैनीताल की ओर बढ़ते दिखे।
शहर के भीतर अस्थायी पार्किंग स्थलों पर भी जगह कम पड़ गई। नतीजा ये हुआ कि जाम ने पूरे शहर को जकड़ लिया। प्रशासन की मंशा सही थी, लेकिन केवल शुल्क बढ़ा देना समस्या का समाधान नहीं बन पाया।
स्थानीय नागरिकों और व्यापारियों का कहना है कि जब तक वैकल्पिक मार्गों, सुगम पार्किंग और सख्त ट्रैफिक कंट्रोल की व्यवस्थाएं नहीं होंगी, तब तक हर पर्यटन सीजन में शहर इसी तरह ठहर जाएगा।