
उत्तराखंड की पर्यावरणीय परंपरा और लोक आस्था के पर्व हरेले के अवसर पर मंगलवार को डीएसबी परिसर में पौधरोपण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। एक पेड़ मां के नाम अभियान के तहत इग्नू, एलुमनी सेल, विजिटिंग प्रोफेसर और वनस्पति विज्ञान विभाग के संयुक्त तत्वावधान में इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस मौके पर पदम, गुड़हल, किम्मू और चिनार जैसे विशेष पौधों का रोपण किया गया, जो न केवल प्रकृति की विविधता को दर्शाते हैं बल्कि पर्यावरण संरक्षण के गहरे संदेश भी देते हैं।
कार्यक्रम में पदम जैसे धार्मिक महत्व वाले पौधे से लेकर चिनार जैसे औषधीय और सौंदर्यवर्धक पेड़ का चयन किया गया। किम्मू (शहतूत) जहां स्वादिष्ट फल देने वाला पौधा है, वहीं गुड़हल एक लोकप्रिय बागवानी पौधा है जो सजावटी और पारंपरिक रूप से भी उपयोगी माना जाता है।
इस अवसर पर विभागाध्यक्ष प्रोफेसर ललित तिवारी ने कहा कि हरेला केवल एक पर्व नहीं बल्कि प्रकृति के प्रति श्रद्धा, आभार और संरक्षण की भावना का प्रतीक है। पौधरोपण करके हम धरती माता को नमन करते हैं और भावी पीढ़ियों को स्वच्छ पर्यावरण देने की दिशा में योगदान भी देते हैं।
कार्यक्रम में वनस्पति विज्ञान विभाग के डॉ. नवीन पांडे, कर्मचारी संघ के अध्यक्ष नंदा बल्लभ पालीवाल, सूरज, गोपाल बिष्ट, कुंदन सहित इग्नू के अनेक छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे। सभी ने मिलकर पर्यावरण संरक्षण का संकल्प लिया और पौधों की नियमित देखभाल की जिम्मेदारी भी साझा की।
हरेले जैसे पारंपरिक पर्वों के जरिए विश्वविद्यालय परिसर में जागरूकता के साथ प्रकृति से जुड़ाव को सशक्त किया जा रहा है, जो निश्चित ही आने वाले समय में सकारात्मक परिणाम देने वाला प्रयास माना जाएगा।