
नैनीताल: कुमाऊं विश्वविद्यालय के डायरेक्टरेट के निदेशक और विजिटिंग प्रोफेसर प्रो. ललित तिवारी ने विज्ञान वर्ग के प्री-पीएचडी कोर्स वर्क कर रहे विद्यार्थियों को दो महत्वपूर्ण व्याख्यान दिए। इन व्याख्यानों में उन्होंने शोध कार्य में तकनीकी उपकरणों की भूमिका और बौद्धिक संपदा अधिकारों की जानकारी पर विस्तार से प्रकाश डाला।
पहला व्याख्यान: कंप्यूटर और शोध कार्य
प्रो. तिवारी ने कहा कि आज के दौर में कंप्यूटर शोध कार्य का एक अनिवार्य उपकरण बन चुका है। इसके बिना शोध प्रक्रिया में कई दिक्कतें आती हैं। उन्होंने बताया कि कंप्यूटर की मदद से पब्लिकेशन, मेथोडोलॉजी तैयार करना, हाइपोथेसिस बनाना आदि कार्य आसानी से किए जा सकते हैं। उन्होंने प्लैगरिज्म (चौर्याचार) पर भी जोर देते हुए कहा कि यूजीसी के नियमानुसार अधिकतम 10% प्लैगरिज्म ही मान्य है, ऐसे में शोधार्थियों को इस विषय में विशेष सावधानी बरतनी चाहिए।
दूसरा व्याख्यान: बौद्धिक संपदा और मन की शक्ति
अपने दूसरे व्याख्यान में प्रो. तिवारी ने बौद्धिक संपदा अधिकार (Intellectual Property Rights) को शोधार्थियों के लिए अनिवार्य जानकारी बताया। उन्होंने बताया कि पेटेंट, कॉपीराइट, ट्रेडमार्क और ज्योग्राफिकल इंडिकेशन जैसे अधिकार किसी शोध को संरक्षित करने में मदद करते हैं।
प्रो. तिवारी ने यह भी बताया कि मनुष्य का मस्तिष्क बहुत शक्तिशाली होता है, जिसमें प्रतिदिन करीब 70,000 विचार आते हैं। उन्होंने कहा, “संसार में मन की शक्ति से बड़ी कोई ताकत नहीं है, जो किसी समस्या का समाधान न कर सके।” उन्होंने शोधार्थियों को बेसिक और एप्लाइड रिसर्च करने के लिए प्रेरित किया ताकि उनका शोध समाज के लिए उपयोगी सिद्ध हो।