हल्द्वानी:हल्द्वानी में सात साल पुराने भ्रष्टाचार के एक मामले में अदालत ने बड़ा फैसला सुनाया है। पिथौरागढ़ में कार्यरत लोक निर्माण विभाग (PWD) के अवर अभियंता (JE) अमित गिरी को रिश्वत लेने का दोषी पाते हुए विशेष न्यायाधीश (भ्रष्टाचार निवारण संगठन) एवं एडीजे प्रथम नीलम रात्रा ने पांच साल के कठोर कारावास और दो लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है।
फतेहपुर क्षेत्र के ग्राम रामड़ी छोटी निवासी धीरेंद्र सिंह एक ठेकेदार हैं। वर्ष 2017 में उन्होंने पिथौरागढ़ में इलेक्ट्रिकल और मैकेनिकल से जुड़े कार्य पूरे किए थे। जब उन्होंने अपने कार्य का भुगतान लेने के लिए फाइल प्रस्तुत की, तो अभियंता अमित गिरी ने मेजरमेंट बिल (MB) बनाने के बदले 8500 रुपये की रिश्वत की मांग की।
धीरेंद्र सिंह ने इस भ्रष्टाचार की शिकायत 5 फरवरी 2018 को उत्तराखंड सतर्कता अधिष्ठान (विजिलेंस) में की। 9 फरवरी को विजिलेंस टीम ने पिथौरागढ़ में छापा मारकर अमित गिरी को रिश्वत लेते हुए रंगेहाथ गिरफ्तार कर लिया।
मामला भ्रष्टाचार निवारण संगठन की विशेष अदालत में चला, जहां अभियोजन अधिकारी दीपा रानी ने मजबूत पैरवी की। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद न्यायालय ने आरोपी को दोषी मानते हुए भ्रष्टाचार की दोनों धाराओं में पांच-पांच साल की कठोर सजा और एक-एक लाख रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई।
यह फैसला प्रशासन और न्याय व्यवस्था की ओर से भ्रष्टाचार के खिलाफ एक सख्त संदेश है। अधिकारियों को चेतावनी दी गई है कि रिश्वतखोरी में संलिप्त पाए जाने पर कठोर कार्रवाई से बचना संभव नहीं होगा।