राष्ट्रीय खेलों में इस बार मेडल सेरेमनी का नजारा कुछ अलग ही देखने को मिला। जब विजेता खिलाड़ियों को पदक पहनाए गए, तो उन्हें मंच तक लाने वाला कोई कर्मचारी नहीं, बल्कि एक रोबोट था। एथलेटिक्स मुकाबलों के दौरान मेडल वितरण के लिए मौली रोबोट का इस्तेमाल किया गया, जिसने पूरे आयोजन को और भी खास बना दिया। जैसे ही रोबोट ने रिमोट कंट्रोल की कमांड पर हरकत की, वह एक ट्रे में मेडल लेकर विजेताओं तक पहुंचा, जहां अतिथियों ने उन्हें मेडल पहनाए।
उत्तराखंड ने इस तकनीकी नवाचार के जरिए राष्ट्रीय खेलों को एक नया रूप देने की कोशिश की है। हालांकि, एथलेटिक्स को छोड़कर बाकी खेलों में पारंपरिक तरीके से ही मेडल सेरेमनी आयोजित की गई, जिसमें युवतियां ट्रे में मेडल लेकर विजेताओं के पास पहुंचीं। लेकिन एथलेटिक्स इवेंट्स में मौली रोबोट का उपयोग कर एक नई मिसाल कायम की गई।
डिस्कस थ्रो इवेंट में भी एक और अनोखा दृश्य देखने को मिला, जब दूर फेंके गए चक्कों को खिलाड़ियों तक लाने के लिए एक विशेष रोवर का इस्तेमाल किया गया। इस तकनीक ने दर्शकों को हैरान कर दिया और खेलों में आधुनिकता के समावेश को दर्शाया।
इस रोबोटिक तकनीक को विकसित करने का श्रेय उत्तराखंड पुलिस की ड्रोन टीम और डीटाउन रोबोटिक्स को जाता है। इस प्रोजेक्ट पर विपिन कुमार, दीपांकर बिष्ट, प्रशांत चंद्र, दीपक बिष्ट, अभिषेक कुमार और प्रज्ज्वल रावत ने करीब डेढ़ महीने तक काम किया। उनकी मेहनत का नतीजा यह रहा कि राष्ट्रीय खेलों में पहली बार रोबोटिक मेडल सेरेमनी देखने को मिली।
खेल निदेशक प्रशांत आर्या के मुताबिक, एथलेटिक्स के लगभग 40 मुकाबलों में आगे भी इसी तरह मेडल सेरेमनी में रोबोट का इस्तेमाल किया जाएगा। ओलंपियन मनीष रावत ने भी इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने पहली बार किसी प्रतियोगिता में मेडल सेरेमनी के दौरान रोबोट का इस्तेमाल होते देखा है। यह तकनीकी विकास खेलों को नई दिशा देने वाला साबित होगा।