
देहरादून: उत्तराखंड सरकार ने सड़क किनारे रहने और भीख मांगने वाले बच्चों के लिए एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए स्टेट चिल्ड्रन पॉलिसी 2025 को अधिसूचित कर दिया है। यह नीति 2 जून 2025 से पूरे राज्य में लागू हो गई है। इसका उद्देश्य बच्चों को भीख, शोषण और असुरक्षित जीवन से मुक्त कर मुख्यधारा से जोड़ना है।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर बनी नीति
सुप्रीम कोर्ट ने देशभर के राज्यों को निर्देश दिए थे कि वे राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के मॉडल ड्राफ्ट के आधार पर अपनी-अपनी स्टेट चिल्ड्रन पॉलिसी बनाएं। उत्तराखंड सरकार ने इस निर्देश का पालन करते हुए 16 मई को कैबिनेट से पॉलिसी को मंजूरी दिलाई, और अब इसे आधिकारिक रूप से लागू कर दिया गया है।
क्या है पॉलिसी के प्रमुख प्रावधान:
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सड़क पर रहने वाले बच्चों का तुरंत रेस्क्यू किया जाएगा।
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उनकी जानकारी CISS पोर्टल (Children in Street Situations) पर अपडेट की जाएगी।
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बच्चों को कपड़े, भोजन, चिकित्सा और शिक्षा उपलब्ध कराई जाएगी।
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किशोर न्याय बोर्ड, जिला प्रशासन, और समाज कल्याण विभाग मिलकर पुनर्वास की जिम्मेदारी निभाएंगे।
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दुकानदारों और नागरिकों को भी भीख मांगते बच्चों की सूचना देने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
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बच्चों को बाल सुधार गृह में रखा जाएगा और शिक्षा से जोड़ा जाएगा।
सभी हितधारकों की भूमिका तय
महिला सशक्तिकरण और बाल विकास विभाग के सचिव चंद्रेश यादव ने बताया कि इस नीति में प्रशासन, पुलिस, शिक्षा विभाग और आम नागरिकों की भी भूमिका स्पष्ट की गई है। अब कोई बच्चा अगर सड़कों पर नजर आता है, तो उसके रेस्क्यू और पुनर्वास की जिम्मेदारी तय अधिकारियों की होगी।
उम्मीद: सड़कों से बच्चों का गायब होना
अगर नीति का सही ढंग से क्रियान्वयन होता है, तो आने वाले समय में उत्तराखंड की सड़कों पर कोई भी बच्चा भीख मांगता या बेसहारा नहीं दिखाई देगा। यह नीति न केवल एक मानवाधिकार पहल है, बल्कि समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की दिशा में बड़ा कदम भी है।