
उत्तराखंड: आज गुरुवार को श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि है, जिसे गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। यह दिन गुरु के प्रति श्रद्धा, पूजा और ज्ञान की आराधना का पर्व है। साथ ही इस दिन मां लक्ष्मी, मां सरस्वती और मां पार्वती की पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन को आध्यात्मिक उन्नति, शुभ कार्यों और संस्कारों की अभिव्यक्ति के लिए अत्यंत शुभ माना गया है।
आज का पंचांग-
विक्रम संवत: 2081
मास: आषाढ़ (श्रावण की शुरुआत)
पक्ष: शुक्ल पक्ष
तिथि: पूर्णिमा
दिन: गुरुवार
योग: ऐन्द्र
नक्षत्र: पूर्वाषाढ़ा
करण: विष्टि
चंद्र राशि: धनु
सूर्य राशि: मिथुन
सूर्य और चंद्र ग्रहण काल-
सूर्योदय: प्रातः 06:00 बजे
सूर्यास्त: सायं 07:28 बजे
चंद्रोदय: सायं 07:20 बजे
चंद्रास्त: चंद्रास्त नहीं (पूर्णिमा की रात्रि)
आज का राहुकाल और अशुभ मुहूर्त
राहुकाल: दोपहर 02:25 बजे से 04:06 बजे तक
यमगंड काल: सुबह 06:00 से 07:41 बजे तक
गुलिक काल, दुमुहूर्त और वर्ज्यम: इन अशुभ समयों में शुभ कार्य करने से बचना चाहिए।
पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र का महत्व
आज चंद्रमा धनु राशि में और पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में है, जो विजय, समर्पण और संकल्प का प्रतीक है। यह समय किसी बड़े कार्य की शुरुआत, योजना निर्माण, मानसिक विकास और पूजा-पाठ के लिए शुभ होता है।
पूर्वाषाढ़ा के अधिदेव वरुण हैं और इसके स्वामी शुक्र ग्रह हैं। माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए इस नक्षत्र में पूजा करना अत्यंत फलदायक माना जाता है।
गुरु पूर्णिमा का महत्व
गुरु पूर्णिमा के दिन शिष्य अपने गुरु की पूजा करते हैं और उनके आशीर्वाद से ज्ञान, अनुशासन और आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त करते हैं। यह दिन व्यास पूजन का भी दिन है — महर्षि वेदव्यास जिन्होंने वेदों का संकलन किया था, उन्हें गुरु मानकर उनकी वंदना की जाती है।