
भीमताल: भीमताल की खूबसूरत झील अब धीरे-धीरे संकट में घिरती जा रही है। मई महीने में जब जल स्तर गिरा तो झील के मल्लीताल छोर पर डेल्टा साफ नजर आने लगे। स्थानीय लोग और पर्यटन व्यवसायी इस स्थिति को लेकर बेहद चिंतित हैं। दरअसल, भीमताल झील की आखिरी बार सफाई साल 1998 में हुई थी और तब से अब तक यह झील सिर्फ इंतजार कर रही है। झील में लगातार गाद और मलवा भरता जा रहा है, जिससे न सिर्फ पानी की गुणवत्ता खराब हो रही है बल्कि इसकी गहराई भी तेजी से घट रही है।
समाजसेवी पूरन चंद्र बृजवासी ने इसे लेकर कई बार शासन और प्रशासन से मांग की है कि झील की संपूर्ण सफाई कराई जाए और उसमें गिरने वाले नालों की गंदगी और मिट्टी की रोकथाम की जाए। उनका कहना है कि झील का मल्लीताल छोर पूरी तरह से सिल्ट और गाद से भर चुका है, और अब यह इलाका मैदान जैसा लगने लगा है। 1985 में जहां झील की गहराई 22 मीटर थी, वहीं अब यह घटकर 17 मीटर तक आ गई है। यही नहीं, 2006 की एक रिपोर्ट में झील के पानी को पीने योग्य नहीं बताया गया था।
बृजवासी ने बताया कि हर साल बारिश के साथ नालों के जरिए गाद-मिट्टी झील में जमा हो रही है। खुटानी से झील तक के ड्रेन ए और ड्रेन बी पूरी तरह से मलवा और गंदगी से भरे हैं। यदि मानसून से पहले इनकी जड़ से सफाई नहीं हुई, तो भारी बारिश के साथ ये सारी गंदगी झील में समा जाएगी, जिससे प्रदूषण और दुर्गंध और बढ़ेगी। उन्होंने जिलाधिकारी वंदना सिंह से झील की संपूर्ण सफाई और गाद निकासी के लिए विशेष योजना तैयार करने और बजट स्वीकृत करने की मांग की है।