हल्द्वानी की युवा कलाकार शानू शर्मा अपनी अनोखी स्टोन और कैनवास पेंटिंग्स के जरिए कला जगत में एक अलग पहचान बना रही हैं। उनकी कलाकृतियां न केवल सौंदर्य का अनुभव कराती हैं, बल्कि सामाजिक संदेश भी देती हैं। खासतौर पर उनकी आंखों पर केंद्रित पेंटिंग्स महिलाओं के जीवन, सामाजिक कुरीतियों और पहाड़ी संस्कृति की झलक पेश करती हैं। शानू का मानना है कि कला सिर्फ रंगों और ब्रश का खेल नहीं, बल्कि बदलाव की एक आवाज है। एमएससी आईटी की पढ़ाई के बाद उन्होंने फाइन आर्ट्स में करियर बनाने का फैसला किया और पिछले चार वर्षों से इस क्षेत्र में सक्रिय हैं। उनके आदर्श भारती खेर, सुबोध गुप्ता और विजेंद्र शर्मा हैं, जबकि वे हल्द्वानी की प्रसिद्ध कलाकार कुसुम पांडे को अपनी गुरु मानती हैं। उनका सपना है कि वे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी कला का प्रदर्शन कर भारत का नाम रोशन करें।
शानू की पेंटिंग्स नैनीताल, अल्मोड़ा, देहरादून समेत कई शहरों में प्रदर्शित की जा चुकी हैं। वे ललित कला अकादमी और संस्कृति मंत्रालय द्वारा आयोजित 46वीं विश्व धरोहर समिति में भी भाग ले चुकी हैं। इसके अलावा, उन्होंने आईटीबीपी देहरादून और रुद्रपुर के नंदा शक्ति वंदन महोत्सव में भित्ति चित्रण भी किया है। सोशल मीडिया के जरिए वे अपनी कला को प्रमोट कर रही हैं और ऑनलाइन पेंटिंग क्लास भी संचालित कर रही हैं। उनकी क्लास में विदेशों के छात्र भी भारतीय और कुमाऊंनी कला सीख रहे हैं। अब वे अपनी टीम को और बड़ा करके महिलाओं और युवतियों को प्रशिक्षित कर स्वावलंबन की दिशा में काम कर रही हैं।