
नैनीताल जनपद के मोरा गांव में तेंदुए के हमले में गंभीर रूप से घायल हुई महिला को ग्रामीणों ने साढ़े तीन किलोमीटर जंगल के रास्ते पैदल चलकर सड़क तक पहुंचाया और फिर सुबह होते ही अस्पताल ले जाया गया, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। ग्राम प्रधान हंसी पलड़िया ने बताया कि यदि गांव तक सड़क होती तो घायल महिला को समय पर अस्पताल पहुंचाया जा सकता था और शायद उसकी जान बच जाती। उन्होंने बताया कि यह पहली बार नहीं है जब सड़क न होने के कारण किसी की जान गई हो। पूर्व में भी एक नवजात और एक अन्य घायल व्यक्ति को समय पर अस्पताल न ले जाने के कारण उनकी मौत हो चुकी है। उन्होंने प्रशासन से मांग की है कि मोरा गांव तक जल्द से जल्द सड़क बनाई जाए ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाएं दोहराई न जाएं
महिला की मौत के बाद वन विभाग भी सक्रिय हो गया है। विभाग की टीम ने दो क्विंटल वजनी पिंजरे को तीन किलोमीटर पैदल चलकर गांव तक पहुंचाया और उसे घटनास्थल के पास स्थापित कर दिया है। साथ ही ट्रेंकुलाइजर गन के साथ वनकर्मियों ने इलाके में गश्त शुरू कर दी है। वन क्षेत्राधिकारी मुकुल शर्मा ने बताया कि वन विभाग की टीम लगातार तेंदुए की गतिविधियों पर नजर रखे हुए है और उम्मीद है कि जल्द ही उसे पकड़ लिया जाएगा।
घटना के बाद से क्षेत्र में तेंदुए के पंजों के निशान पाए गए हैं और वन विभाग ने दो पिंजरे तथा आठ ट्रैप कैमरे भी क्षेत्र में लगा दिए हैं। इसके अतिरिक्त मौके से लिए गए नमूनों को जांच के लिए प्रयोगशाला भेजा गया है। डीएफओ चंद्रशेखर जोशी ने बताया कि मृतक महिला के परिजनों को सोमवार को छह लाख रुपये की मुआवजा राशि दी जाएगी।