
नैनीताल स्थित कुमाऊं विश्वविद्यालय के संगीत विभाग में “भारतीय शास्त्रीय संगीत कार्यक्रम श्रृंखला” के चतुर्थ अध्याय का आयोजन भव्य रूप से संपन्न हुआ। इस कार्यक्रम का संचालन विभागाध्यक्ष डॉ. गगनदीप होठी (ए ग्रेड आर्टिस्ट) के मार्गदर्शन में “के०यू० आई०एफ़०आर०” प्रोजेक्ट के तहत किया गया।
इस अवसर पर हल्द्वानी के प्रसिद्ध सरोद वादक एवं ए-ग्रेड आर्टिस्ट श्री स्मित तिवारी ने अपने अनूठे वादन से सभी को मोहित कर दिया। 2015 में संगीत नाटक अकादमी द्वारा “उस्ताद बिस्मिल्लाह ख़ान युवा पुरस्कार” से सम्मानित श्री तिवारी ने सबसे पहले राग जौनपुरी की मनमोहक प्रस्तुति दी। इसके बाद राग हेमंत में दो रचनाएँ प्रस्तुत कर अपने कार्यक्रम का समापन राग सिंधु भैरवी से किया। उनकी मधुर प्रस्तुति ने सभागार में उपस्थित श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। उनके वादन में मैहर घराने की विशेषताओं के साथ-साथ गायकी का अद्भुत मेल देखने को मिला। तबले पर उनका संगत हल्द्वानी के ही उभरते तबला वादक एवं डीएसबी परिसर के पूर्व छात्र श्री लोकेश जोशी ने किया।
कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि वनस्पति विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष एवं विजिटिंग प्रोफेसर निदेशालय के निदेशक प्रो. ललित तिवारी ने शिरकत की। उन्होंने संगीत और पर्यावरण के गहरे संबंध पर प्रकाश डालते हुए कहा कि संगीत केवल मनोरंजन का साधन नहीं, बल्कि मानसिक और भावनात्मक संतुलन को बनाए रखने का भी महत्वपूर्ण माध्यम है। डीएसबी परिसर के वनस्पति विज्ञान विभाग के छात्र-छात्राओं ने भी बड़ी संख्या में भाग लेकर कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई।
संगीत विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. गगनदीप होठी ने इस श्रृंखला के महत्व पर चर्चा करते हुए कहा कि भारतीय शास्त्रीय संगीत को बढ़ावा देने और छात्रों को अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जोड़ने के उद्देश्य से इस कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। उन्होंने बताया कि इस श्रृंखला के तहत छात्रों को भारतीय संगीत परंपरा की गहराई से अवगत कराया जाएगा।
इस अवसर पर बीएफए पाठ्यक्रम की छात्रा ख़ुशी उप्रेती ने दोनों कलाकारों और मुख्य अतिथि के स्केच पोर्ट्रेट भेंट कर सम्मान व्यक्त किया।
कार्यक्रम का समापन मुख्य परिसर की निदेशक प्रो. नीता बोरा शर्मा के आशीर्वचनों से हुआ। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में छात्र-छात्राओं के साथ-साथ विश्वविद्यालय के प्रतिष्ठित संकाय सदस्य भी उपस्थित रहे, जिनमें प्रो. पदम सिंह बिष्ट, प्रो. संजय पंत, प्रो. हरीश सिंह बिष्ट, प्रो. ज्योति जोशी, प्रो. संजय घिल्डियाल, प्रो. शिरीष मौर्य, प्रो. सुषमा टम्टा, प्रो. अनिल बिष्ट, डॉ. लज्जा भट्ट, डॉ. कपिल खुल्बे, डॉ. अशोक कुमार, डॉ. दीपक कुमार सहित अन्य गणमान्य लोग शामिल थे।
यह संगीतमय आयोजन भारतीय शास्त्रीय संगीत की समृद्ध विरासत को जीवंत बनाए रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ।